20 August 2009

वाइस ऑफ़ इंडिया या वाइस ऑफ़ मनी....

दो साल पहले जिस ताम झाम के साथ वाइस ऑफ़ इंडिया ने भारत में दस्तक दी थी , उससे लग रहा था कि यही channel सच में भारत की आवाज़ बनेगा। इस channel ने नेशनल और रीजनल चैनलों में जमकर अपना कमाल दिखाया। अच्छी ख़बरों का न तो बलात्कार होने दिया और न ही उसे लावारिस छोड़ा, लेकिन अब तो आर्थिक मंदी ने भारत की इस आवाज़ का गला घोंट दिया , न सिर्फ़ गला घोंटा बल्कि उसे बाजारू लोगों के हाथों में सौंप दिया। ऐसी बोली लगी कि भारत की ये आवाज़ एक वेश्या कि तरह बाज़ार में खड़ी कर दी गयी। जिसके पास पैसा हो वो सौदा कर ले और ले जाए। भारत की इस आवाज़ से वेश्यावृत्ति कराने के लिए शक्ल से ही दलाल दिखने वाले लोगों को बाज़ार में छोड़ दिया गया। इन दलालों कि औकात उन रिक्शे वालों से ज़्यादा की नहीं होती जो स्टेशन या बस स्टैंड से ग्राहकों को होटल पहुंचाते हैं और होटल के मेनेजर से २० रूपया ले लेते हैं।
मैं chhattisgarh और madhyapradesh में वाइस ऑफ़ इंडिया के haalaton को देखने के बाद ही ब्लॉग लिखने baitha हूँ। chhattisgarh में जिस दलाल ने frenchizee dilwayee , वो swayambhu ख़ुद को bureau भी बताता है। दो साल की prashikshu patrakarita के बाद कोई bureau bana है क्या। मैं २२ साल तक patrakarita करने के बाद इतना तो समझता हूँ की electronic मीडिया के पत्रकारों की आवाज़ , shailee और शब्द कोष achchha होना चाहिए। यहाँ तो had हो गयी है। खैर , channel उनका है। chhattisgarh के कई पत्रकारों को वाइस ऑफ़ इंडिया ने sellery नहीं दी है, वैसे तो और भी कई channel का यही हाल है। पर बात अभी हम वाइस ऑफ़ इंडिया की ही कर रहे हैं baaki channel पर फिर कभी बात करेंगे।

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