12 May 2010

ब्लॉग ने दिखा ही दी ताकत , टूट गयी हिंदुस्तान की हिमाकत

एक बार फिर साबित हो गया की सत्य की हमेशा जीत होती है, तमाम ब्लोगेर्स की मदद से आखिरकार एक और जीत हासिल हुई हिंदुस्तान न्यूज़ के पत्रकारों को। बड़ी-बड़ी बात करने वालों को आखिर झुकना पड़ा और हड़ताली कर्मचारियों की 'ससम्मान' वापसी संभव हो ही गयी। कैसे हो गये हैं आज कल के पत्रकार ? मैं चार दिन से ब्लॉग नहीं लिख पा रहा था, टाइम टुडे की जिम्मेदारियों का निर्वहन करते करते तीन दिन बीत गया, एक आश्चर्य जनक बात ये है की हिन्दुस्तान न्यूज़ में लौटने के बाद वहां के किसी पत्रकार ने मुझे किसी भी माध्यान से ये नहीं बताया की उनकी वापसी हो गयी है। तीन दिन पहले जब श्रम विभाग के दफ्तर में सभी ने मुझे फोन करके बुलाया था। श्रम आयुक्त ने वहीँ बताया था की आज सबको पारिश्रमिक के लिए बुलाया जायेगा, सब जाना और अपना अब तक का हिसाब बराबर कर लेना , श्रम विभाग की कागजी कार्यवाही तो चलती रहेगी। यहीं उन्होंने सुझाव दिया की अगर प्रबंधन आप लोगों को वापस लेना  चाहे तो क्या करोगे? मैंने ही कहा था की चुपचाप लौट जाना। काम करने में कोई दिक्कत थोड़े ही है। दिक्कत है रेजा कुली टाइप भुगतान की। अगर वो लोग सेलरी बेस पर रखने को तैयार हैं तो लौट जाने में कोई हिचक नहीं होनी चाहिए। खैर॥ सब काम पर लौट गये हैं। ब्लॉग लिख लिख कर मैंने और पढ़ पढ़ कर आप लोगों ने जो वातावरण तैयार किया उसके लिए आप सभी का आभारी हूँ।
एक बात जो मुझे अन्दर तक चुभ गयी वो ये इन हडताली कर्मचारियों के सामने अनिल पुसदकर ने मेरे बारे में की बातें झूठ कहीं। अनिल पुसदकर ने उनसे कहा की अह्फाज़ खुद यहाँ आना चाहता था, इसीलिये ये हड़ताल करवाई। अब आप खुद सोचिये की times now जैसा अंतर्राष्ट्रीय चैनल छोड़कर ३४ मोहल्ले में दिखने वाले चैनल में में मेरी क्या रूचि हो सकती है। हड़ताल इसीलिये हुई क्योंकि खुद प्रेस क्लब के कथित अध्यक्ष ने दिहाड़ी व्यवस्था वहां लागू करवाई थी, खुद शोषण पर उतर आये थे। मैंने तो सिर्फ ब्लॉग के माध्यम से पत्रकारों की पीड़ा को सामने रखा था। अब तो आप मुझे रोज़ एक स्पेशल स्टोरी के साथ रीजनल चैनल टाइम टुडे पर भी देख सकते हैं। टाइम टुडे ने मुझे वरिष्ठता के आधार पर senior -corrospondent बनाया है, शहीदों के शव को चीर घर वापस भिजवाने और शहीदों के शव घर नहीं पहुंचे और सी एम् हाउस में जश्न वाली खबर कवर करके अपने आपको साबित किया है। आज भी रायपुर के सभापति को जेल में मोबाइल पर बात करने वाली खबर भी मैंने ही कवर की और बाँट दिया। अपनी कुंठा अनिल पुसदकर ने मुझ पर ठोंक दी। मुंह से पत्रकारिता नहीं होती। आप तो श्रम विभाग , विधुत विभाग और आयकर विभाग को निपटाने वाले थे, निपटा लेते, यहाँ तो बाप का राज है, पूरा छत्तीसगढ़ राज्य प्रेस क्लब जैसा थोड़े ही है, तीनों विभाग अपनी अड़ी में  तो आ गये तो आप लोग तो भाग जाओगे , भुगतेगा राजेश शर्मा। 
मुझे पता है की काम कहाँ करना है और कैसे करना है. लौट कर जाने वालों को अनिल पुसदकर ने एक और बड़ा झूठ बोलकर बरगलाने की कोशिश की है. अनिल पुसदकर ने उनसे कहा की मीडिया हॉउस बंद हो गया है. भास्कर छोड़ने के बाद नवीन शर्मा ने ही मीडिया हॉउस की संरचना तैयार की थी. और मैंने  ( अनिल पुसदकर ने ) नवीन को हरिभूमि ज्वाइन करवा दिया है. नवीन मैं और मधु काम से काम दस घंटे साथ में रहे हैं. ब्रम्हावीर ने नवीन को हरिभूमि के लिए राजी किया और उसीने नवीन के लिए रास्ते बनाया. अनिल पुसदकर का कहीं कोई रोल नहीं था. आप लोग चाहें तो नवीन से ०९४२५२१३०९८ पर बात करके सत्यता का पता लगा सकते हैं. रही बात मीडिया हॉउस बंद होने की तो आप टाइम टुडे से भी इसे जोड़कर देख सकते हैं हम पूरी ताकत से टाइम टुडे की टी आर पी बढ़ने में जुटे हुए हैं. हमारी वेब साईट का मुआयना भी कर सकते हैं. एक बात का खुलासा मैं और कर दूँ. दो -दो चैनल का मुखिया बनना अनिल पुसदकर की कुंठा का प्रतीक है, उन्हें अच्छे से पता है की जब ३ साल पहले प्रेस क्लब के चुनाव हो रहे थे तब वो किसी अखबार में नहीं थे. प्रशांत शर्मा ने झटपट अम्बिकवानी  के संपादक को सेट किया और एक appointment लिखवा लिया अनिल पुसदकर के नाम. आज तक उनकी कोई खबर आप लोगों ने नहीं पढ़ी होगी कई लोग तो नाम भी नहीं जानते होंगे इस अखबार का. और बस फर्जीवाडा जो शुरू हुआ तो आज तक चला आ रहा है. पर झूठ मुझे पसंद  नहीं है. अपना अपना काम करो. मस्त रहो..

09 May 2010

कवि-पुलिस विश्वरंजन को गुस्सा क्यों आता है?

छत्तीसगढ़ के लोग उनकी तुलना माननीय अटल बिहारी बाजपेयी और डोक्टर रमन सिंह से करने लगे हैं। इलेक्ट्रोनिक मीडिया के लोग तो उनकी तारीफ करते नहीं थकते। तीनों में समानता क्या है आपको बताऊँ? तीनों की बाईट काटने में एडिटर के पसीने छूट जाते हैं। आज बीजापुर में हुई वारदात के बाद बहुत गुस्से में दिखे कवि और पुलिस महानिदेशक विश्वरंजन। पत्रकारों को भी खूब लताड़ा। एक बात तो उन्होंने पते की कही की जिसको जिस चीज़ का नोलेज नहीं है, वो उसी मामले का विशेषग्य बना बैठा है। अब वो ये बात गृह मंत्री ननकी राम कँवर के लिए बोले या पत्रकारों के लिए बोले , पता नहीं। पर आज उनका गुस्सा देखने लायक था। कई ऐसे शब्दों का इस्तेमाल भी उन्होंने किया जिन शब्दों का इस्तेमाल वे अमूमन नहीं करते। आज हुए landmine blast को उन्होंने दो-ढाई माह पुराना बिछाया गया बारूद बताया। कई बार उन्होंने रोड ओपन का ज़िक्र भी किया। जब पत्रकार बाहर निकले तो एक पत्रकार ने दूसरे से पूछा की यार ये रोड ओपन में क्या होता है? दुसरे बताया की जब सड़क को खोलते हैं ना तभी ऐसे blast होते हैं। नक्सलियों के शहरी नेटवर्क से भी काफी खिन्न दिखे विश्वरंजन। शहरी नेटवर्क के बारे में बोलते बोलते कई बार उन्होंने दांत भींचा और कहा की सोर्स सिर्फ आप लोगों के नहीं मेरे भी हैं। इशारों इशारों में में कई बात समेटते गये। चलो गुस्सा आया तो सही , अब गुस्सा उतरे तो क्या बात है। देखते हैं उनका गुस्सा कितने दिन और किस किस पर उतरता है.

बीजापुर: ८ जवान शहीद

08 May 2010

अलाल - दलाल अब करने लगे धमाल

घर बैठे हिन्दुस्तान न्यूज़ के मालिक से हजारों रुपये ऐंठने वाले अलाल - दलाल अब धमाल करने लगे हैं। अब रोजाना उनकी बैठक कथित चैनल में होने लगी है। विद्युत् विभाग का अमला जब जांच के लिए पहुंचा , तो दस मिनट में मोहसिन अली सुहैल और अनिल पुसदकर पहुँच गये और मामला सल्टाया। अब तो नेशनल लुक के सम्पादक और पत्रकारों में चाणक्य के रूप में चर्चित प्रशांत शर्मा भी वहां जाने लगे हैं। यही तो चाहता था मैं। अरे कोई तुमको पैसा दे रहा है, तो उसका काम करो ना। अनिल पुसदकर तो हिंदुस्तान जाते ही नहीं थे बस नाम चाहते थे वो, एम् चैनल में भी उनका यही रवैय्या है, अब जब झटका लगा तब समझ में आया की मालिक अगर पैसा देता है तो वसूलना भी जानता है, फिलहाल u- tube के भरोसे चल रहा है हिन्दुस्तान न्यूज़। अब सब ठीक करने में लगे हैं अब तक अलाली में ज़िंदगी गुज़ार रहे लोग। यही तो चाहता था मैं। आयकर विभाग इस बात की जांच करेगा ही की राजेश शर्मा अचानक करोडपति कैसे बन गया और किन शर्तों पर अनिल पुसदकर और मोहसिन अली सुहैल उन्हें संरक्षण दे रहे हैं। विदेशी पैसों के निवेश और उसके मध्यस्थों का खुलासा आज नहीं तो कल होगा ही। मुख्यमंत्री भी आज कल में हडताली कर्मचारियों से मिलेंगे ही। सारी पोल धीरे धीरे खुल जाएगी।
हिन्दुस्तान न्यूज़ के आंदोलित कर्मचारियों को एक झटका तब लगा जब चार लोग उन्हें छोड़कर वापस चले गये, ये वोही चार लोग थे, जिनके कारण हड़ताल की नौबत आयी। मुझे वापस लौटकर जाने वाले कर्मचारियों से कोई गिला नहीं है, दुःख इस बात का है की जिन लोगों के झांसे में आकर वे ग्रांड टी वी छोड़कर हिन्दुस्तान आये थे उन्हीं लोगों ने उन्हें धोखा दिया , और अब वे फिर उनके झांसे में आ गये। आज नहीं तो कल फिर उन्हें धोखा मिलेगा। मैं चाहता था की नए पत्रकार संगठित रहें पर डेढ़ होशियार लोग अपने ही पैर में कुल्हाड़ी मार रहे हैं । दो तीन साल में उन्हें लगने लगा है की वे मीडिया के शाहंशाह हो गये हैं । एक बार जहाँ धोखा खाए, जिसको खुले आम गन्दी गन्दी गलियां देते रहे , उन्ही के साथ फिर किस मुंह से काम कर पाएंगे। समझ से परे है। खैर । उनका जीवन है, जैसे जीना है जियें । ईश्वर उन्हें सदबुद्धि दे।

04 May 2010

हिंदुस्तान में श्रम विभाग का छापा, बड़े बड़े "भाई लोग" बन गये आपा

आज का दिन रायपुर के पत्रकारों के लिए एक सुखद दिन रहा। प्रेस क्लब के नाम पर अकड़ने और मुख्यमंत्री के ख़ास बनने वालों को आज बड़ा सदमा लगा होगा। पत्रकारों को रेजा - कुली की दर पर काम कराने वालों की आज सुध ली श्रम विभाग ने । श्रम विभाग के तीन इंस्पेक्टर्स ने आज हिन्दुस्तान न्यूज़ के दफ्तर में सबका बयान दर्ज किया। कई खामियां आज खुलकर सामने आ गयी। यहाँ के किसी भी स्टाफ को नियुक्ति पत्र नहीं दिया गया है। तनख्वाह की कोई तय तारीख नहीं थी। ये भी जानकारी मिली कि "हिन्दुस्तान न्यूज़ "नाम का कोई पंजीयन नहीं है और तो और डॉल्फिन न्यूज़ विज़न प्राइवेट लिमिटेड का पंजीयन भी श्रम विभाग में दर्ज नहीं है। दो घंटे तक चली इस कारवाई में वहां का मैनेजमेंट ना तो लाइट का बिल ढूंढ पाया ना टेलीफोन बिल। किसी भी चीज़ का कोई रिकॉर्ड पेश नहीं कर पाया मैनेजमेंट । हिन्दुस्तान न्यूज़ के मालिक को कल मुंबई भेज दिया गया, बताया गया कि अस्वस्थता के कारण उन्हें मुंबई जाना पड़ा। मोहसिन अली का भतीजा वहां administrator के पद पर कार्यरत है। वह भी कल अफ्रीका चला गया। श्रम विभाग के इंस्पेक्टर्स इस बात को लेकर परेशान रहे कि इतने बड़े चैनल ( इंस्पेक्टर्स की नज़र में ) के बारे में कोई भी बात करने को अधिकृत नहीं है। श्रम विभाग का दावा है कि आज की पूरी प्रक्रिया को नस्तीबद्ध करके वो सभी पत्रकारों को पी ऍफ़ कि राशि उपलब्ध करवाने के लिए फाइल आगे बढ़ाएंगे। ये तो हुई आज की बात , अब मैं आप लोगों के सामने एक exclusive न्यूज़ का खुलासा करने जा रहा हूँ।
"हिन्दुस्तान न्यूज़ में है विदेशी फ्यूज़ "
चौंकिए मत॥ आने वाले समय में आपको यकीन करना पड़ेगा की हिंदुस्तान में विदेशी धन का भी इस्तेमाल हो रहा हैं। आज जो बातें सामने आयीं हैं उससे तो लगता है की हिन्दुस्तान न्यूज़ के मालिक राजेश शर्मा को इस्तेमाल किया जा रहा है। प्रेस क्लब के कथित अध्यक्ष अनिल पुसदकर और मुख्यमंत्री के ख़ास रहने वाले हाजी मोहसीन अली के रहते हुए नवेद को administrator कैसे बना दिया गया। कितना अनुभव है उसको। जुमा जुमा चार दिन तो हुए हैं उसको। वो भी फोड़ा है वॉच न्यूज़ का। कोई लम्बी चौड़ी साज़िश की बू आ रही है मुझे। अनिल पुसदकर और हाजी मोहसीन अली सुहैल का रजिस्टर में नाम भी नहीं है, फिर किस बात का उन्हें भुगतान मिल रहा है। सब काम दो नंबर में चल रहा था वहां। अब धीरे धीरे परतें खुलेंगी। मुझे लगने लगा है की कोई बड़ा भंडाफोड़ होगा और सब जायेंगे तेल लेने।
हिन्दुस्तान न्यूज़ के पत्रकारों ने जो पत्र मंत्रियों और अधिकारीयों को सौंपा है उसे मैं जस का तस आपके सामने रख रहा हूँ ।
महोदय,
हम अधोहस्ताक्षारित लोग डोल्फिन न्यूज़ प्राइवेट लिमिटेड रायपुर हिन्दुस्तान टी वी न्यूज़ चैनल में कार्यरत हैं। पिछले दो तीन दिन से इस चैनल के स्वामी राजेश शर्मा और उनके सलाहकार मोहसिन अली सुहैल हम लोगों को रजिस्टर पर हस्ताक्षर करने व् परिसर में प्रवेश से रोक रहे हैं। यह न्यूज़ चैनल एच टी वी के नाम से पंजीकृत बताया जाता है क्योंकि हिन्दुस्तान नाम से पंजीयन पत्र वापस हो गया है। यह उल्लेखनीय है की उस न्यूज़ चैनल के मालिक राजेश शर्मा ही नेशनल लुक अखबार व् डोल्फिन international स्कूल के स्वामी हैं। डोल्फिन स्कूल की वर्तमान में कुल ३२ शाखाएं हैं। रायपुर में ८, भाटापारा, राजिम तिल्दा नेवरा और दुर्ग जिले में बेमेतरा , बालोद, देवकर पंडरिया, कवर्धा, चारामा, कांकेर सरिया, सरायपाली, पिथौरा मुंगेली, रायगढ़ , महासमुंद, नगरी में भी इसकी शाखा है। पाटन कोंडागांव और बागबहरा में भी स्कूल खुलने वाली है।
पहली से बारहवीं तक की पढाई के लिए छात्र छात्रों के पालकों से एक मुश्त ८० हज़ार रुपये यह कह कर लिया जाता है की बीच में पैसे नहीं लगेंगे। सी बी एस ई की मान्यता एक वर्ष के लिए नाम मात्र की शालाओं को है, साथ ही राज्य शाशन की मान्यत भी किसी स्कूल को नहीं है। और राजेश शर्मा इसकी आड़ में ५३ करोड़ की फीस एकत्र कर लिए हैं। किसी भी स्कूल को एक साल की मान्यता है, फिर राजेश शर्मा किस तरह पालकों से १२ साल की फीस जमा करा रहे हैं। ५३ करोड़ में से आज राजेश शर्मा के पास ५३ लाख भी किसी बैंक में जमा नहीं करा पाए हैं। तो फिर छात्रों को बारहवीं तक उत्तीर्ण कराने का ज़िम्मा किसके पास होगा, उमा शर्मा डोल्फिन स्कूल की एम् डी हैं। उनके जारी बमक चेक प्रखर टी वी और कई मामले में बाउंस हुए हैं। आर्थिक अपराध अनुसंधान विभाग और आयकर विभाग को डोल्फिन स्कूल में जमा फीस का निरीक्षण कर सत्यता का पता लगाना चाहिए।
यह उल्लेखनीय है की स्कूल फीस से जमा राशि को राजेश शर्मा ने टी वी न्यूज़ चैनल खरीदने के अलावा नॅशनल लुक के लिए मशीन खरीदने में लगा दिया है। इनकी दो सौ से ज्यादा बसें चलती हैं। दो सौ से ज्यादा सुरक्षा गार्ड भी हैं। जिनका कोई रिकॉर्ड नहीं है। राजेश शर्मा ने पहले न्यूज़ टाइम ,टी वी २४ खरीदा फिर आज़ाद न्यूज़ खरीदा फिर चर्दिकला में टाइम टी वी खरीदा फिर हिन्दुस्तान टी वी के लिए आवेदन लगाया जो निरस्त हो गया। अब स्थिति यह है की एच टी वी का सिर्फ लोगो ही पंजीकृत है , ऐसा बताया जाता है।
नेशनल लुक के लिए १८ लाख रुपये इंटीरियर पर ही खर्च हुए फिर ७० हज़ार रुपये प्रति पत्रकार देकर १४ लोगों को एक एक वर्ष के लिए ६ से ७ लाख रुपये अग्रिम में दिए गये हैं। राजेश शर्मा के सलाहकार मोहसिन अली सुहैल का दावा है की उन्होंने बाज़ार से ६० लाख रुपये राजेश शर्मा को दिलाये हैं। नेशनल लुक की मशीन ही तीन करोड़ की है, अखबार का दफ्तर और एच टी वी न्यूज़ चैनल का किराया ही लाखों में है। सभी स्कूल किराए के मकानों में चल रहे हैं.छत्तीसगढ़ सरकार के स्कूली शिक्षा विभाग की मान्यत भी राजेश शर्मा के डोल्फिन स्कूल को नहीं है, तब किस तरह से वे धड़ल्ले से ८०-८० हज़ार रुपये एकत्र कर रहे हैं? आखिर स्कूल के पैसे कहाँ निवेश हुए या कहाँ जमा है, यह राजेश शर्मा को सरकार और आम लोगों के बीच स्पष्ट करना होगा, प्रशाशन को खुश करने के लिए प्रेस की मशीन का उदघाटन मुख्यमंत्री से कराया और कवर्धा की स्कूल में उनकी माता जी की मूर्ति लगाकर उन्हें खुश करने की कोशिश की गयी। एच टी वी पूरी तरह से साम्प्रदायिक रंग में रंग है। पाकिस्तान के ज़रिये दाऊद का पैसा डोल्फिन, नॅशनल लुक और एच टी वी में लगा है। छत्तीसगढ़ अल्प संख्यक आयोग के अध्यक्ष , उनके बेटे और भाई की भूमिका संदिग्ध है। मोहसिन अली हर साल दुबई जाते हैं। उनकी पत्नी पाकिस्तान की हैं। मुसल्म देशों से मोहसीन अली के ज़रिये राजेश शर्मा को पैसे मिलने की भी खबर है। ये तो हुआ उनका ज्ञापन । श्रम विभाग के इन्स्पेक्टार्स के जाने के बाद वहां प्रबंधन की एक बैठक भी हुई। सब बड़े बड़े भाई लोग इसमें शामिल हुए, नॅशनल लुक के सम्पादक प्रशांत शर्मा, प्रेस क्लब के कथित अध्यक्ष अनिल पुसदकर, सलाहकार मोहसिन अली सुहैल , कुछ स्कूल और अखबार प्रबंधन के लोग भी आये। बताते हैं की बैठक में कहा गया है की छापे से कुछ नहीं होता, सब ठीक हो जायेगा। उनको नहीं पता की कल वहां की बिजली कटने वाली है। घरेलु बिजली से पूरा व्यावसायिक काम हो रहा है।अच्छा है। फ़ोकट का पैसा लेने वालों को अब जाकर काम मिला है। स्वामिभक्ति के लिए दौडभाग तो करनी ही पड़ेगी। अभी तो मुख्यमंत्री और बाकी मंत्रियों से यहाँ के कर्मचारी मिले ही नहीं हैं।

01 May 2010

ब्लॉग का दिखा असर , हिन्दुस्तान में ढाया कहर

जब से ब्लॉग लिख रहा हूँ मुझे विश्वास था की अख़बार से ज्यादा लोग अब ब्लॉग की दुनिया से सरोकार रखते हैं । कुछ दिन पहले मैंने हिन्दुस्तान न्यूज़ के बारे में लिखा था कि यहाँ पत्रकारों से रेजा कुली की तरह काम लिया जा रहा है। आज मजदूर दिवस पर पत्रकारों का ज़मीर जाग गया और चार लोगों ने हिन्दुस्तान से इस्तीफे की पेशकश कर दी। बाकी पत्रकार भी इन चारों के समर्थन में आ गये और वहां पेन डाउन स्ट्राइक हो गयी। इस बात की पुष्टि करनी हो , और दुर्भाग्य से आप देख पायें तो कल दिन भर देखिये रायपुर के जनसंपर्क की सरकारी ख़बरें और, कुछ ख़बरें रायगढ़ की। अब चंगु - मंगू को पालने वाले मालिक को समझ में आया की पत्रकार आखिर होते क्या हैं। चंगु- मंगू को क्या है, उनके पास पैसे कमाने के कई रास्ते हैं। एक मंगू तो आजकल मंत्रियों और विधायकों के पास स्वेच्छानुदान का आवेदन लेकर घूमते देखा जा रहा है। चंगु को पत्रकारिता और पत्रकारों से जुड़े मामलों से ज्यादा पुलिस के अफसरों के साथ शाम रंगीन करने में ज्यादा मज़ा आने लगा है। खैर ... ऊपर वाला सब देख रहा है,
अब मैं स्वयं इस मामले में गंभीर हूँ। एक सप्ताह का समय मुझे चाहिए। मैं ठीक कर दूंगा ऐसे शोषकों का खेल। शर्म सिर्फ इस बात को लेकर आएगी की कथित अध्यक्ष के खिलाफ भी लामबंद होंगे पत्रकार। पत्रकार बिरादरी को अब तो जागना ही होगा, या फिर सबको यही सोचना होगा की भाड़ में जाएँ सब , अपने को बता के थोड़े ज्वाइन किया था, जाओ भुगतो। चोर चमार और धोखा धडी करने वालों के कौन मुंह लगेगा। सब को सिर्फ ज़मीन चाहिए, कहीं अखबार के नाम से तो कहीं स्कूल या चैनल के नाम से और मोहरे बन रहे हैं पत्रकार। अब इन मोहरों को कौन समझाए की ज़मीन छोड़कर ज़मीन की आशा रखने वालों कितनी ज़मीन कहाँ मिलनी है ये ऊपर वाले ने पहले ही तय कर रखा है। श्रमजीवी पत्रकार संघ का एक धड़ मेरे साथ है। मैं भी ये लड़ाई अकेले नहीं लड़ना चाहता। सबसे लड़ लड़ कर क्या मिला मुझे ? पर अब ये सोचने का समय नहीं है, जंग छिड़ी है तो भागेंगे नहीं। अगर पत्रकारों से अब रेजा कुली की दर पर काम लिया गया तो मजदूर संगठनों को भी जोडूंगा। हिन्दुस्तान के पत्रकारों ने आज जो एकजुटता दिखाई है, उसके लिए सभी पत्रकारों को साधुवाद। एक बात उन साथियों को और कहना चाहूँगा की रोज़ी रोटी की चिंता ना करें, ऊपर वाला भूखा उठाता ज़रूर है, पर भूखा सुलाता नहीं है, ईश्वर के न्याय के प्रति आशान्वित रहिये। सब ठीक हो जायेगा। अगर नहीं हुआ तो अपन सब मिलकर इसे ठीक करेंगे। लड़ाई शुरू की है तो आगे बढ़ो। चींटियों की एक जुटता से हाथी को भी पछाड़ा जा सकता है, और ये सब तो सफ़ेद हाथी हैं। दस्तकों का अब किवाड़ों पर असर होगा ज़रूर, हर हथेली खून से तर और ज्यादा बेकरार.