27 July 2009

लड़कियां अपराध करें तो करें...ये क्या बात है..?

...वक्त आ गया है जब हम इस बात पर भी बहस किया करें कि क्या अपराध सिर्फ़ पुरूष आरोपी कर सकते हैं या ये सिर्फ़ लड़कियों की भावनाओं में आकर अपराध को अंजाम तक पहुंचा देते हैं। प्यार, इश्क और मोहब्बत अब लड़कियों के लिए शब्द रह गए हैं। लड़कियां अब सिर्फ़ अपना काम साध रही हैं और लड़के बन रहे हैं माध्यम। भावनाओं का अगर कोई पैमाना हो तो नाप कर देख लीजिये। लड़कों की भावनाएं आज की दुनिया में लड़कियों से ज़्यादा ही निकलेगी। लड़के अपनी दीवानगी हद्द से ज़्यादा व्यक्त कर देते हैं और लड़कियां समझ जाती हैं की अब ये फंस गया है और मैं जैसा बोलूंगी वैसा कर गुजरेगा। अमूमन ऐसा हुआ भी है। पुलिस का रिकॉर्ड उठाकर देख लीजिये। लड़कियां तीन सवारी बैठकर घूमें ..कोई क़ानून नहीं है। गाड़ी चलाना आए या न आए..लड़कियां बेधड़क सड़क पर निकल जा रहीं हैं। ऐसे में लड़की किसी से टकराए तो पब्लिक टकराने वाले लड़के को ही पीटा जाता है। कोई लड़कियों से पूछने वाला नहीं है की आपके पास लाइसेंस है या नहीं। कपडों का तो हाल बेहाल है। तभी तो बूढे और उम्रदराज़ लोग भी अपनी आंखों को रोक नहीं पाते। मैं चाहता हूँ की लडकियां कंधे से कन्धा मिलकर चले, लेकिन क़ानून भी समान हो। कोई भी mms बनता है तो पहले लड़का गिरफ्तार किया जाता है। जब की mms में दोनों समान रूप से आरोपी होते हैं । लड़की अपनी मर्जी से होटल जाती है, एन्जॉय भी पूरा करती है..mms गवाह होता है उसके साथ कोई कोई ज्यादती नहीं की गयी, पर पुलिस को mms ज़ब्त करने की बजाय लड़के की गिरफ्तारी ज़्यादा ज़रूरी लगती है। रायपुर की ही बात लें ..गुढियारी की एक युवती ने एक लड़के कों ब्लैकमेल करने की कोशिश की लड़के ने उसकी हत्या कर दी। इकलौती लड़की थी, गयी न काम से..सरकार क्या नहीं कर रही हैं लड़कियों के लिए । पुलिस ने एक नया cell भी बनाया है। अगर लड़का उसे ब्लैकमेल कर रहा था तो वो पुलिस की मदद ले सकती थी , पर ऐसा था ही नहीं। दूसरे शहरों से आकर यहाँ हॉस्टल में रह रही लड़कियों का एपिसोड तो बहुत लंबा है। पर अभी हम केवल उन लड़कियों की बात करें जो आसपास के गाँव से आकर यहाँ रह रही हैं । केवल जींस या टी शर्ट पहनकर तो कोई शहरी नहीं हो जाता न,, ऐसी लड़कियों की गतिविधियों पर नज़र रखना पुलिस की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। ऐसी लड़कियों कों उनके पिता गाड़ी तो फाइनेंस करा देते हैं उन्हें इस बात की फिक्र नहीं रहती की वो पेट्रोल कैसे manage करेगी। उसके हाथ में मोबाइल तो है पर, उसका top up और recharge कैसे हो रहा है। देर रात तक घर वालों के सोने के बाद भी वो किस किस से बतियाती है। टूशन या लाइब्रेरी के बहाने वो बाहर और क्या क्या कर रही है कीससे मिल रही है, किसके साथ hoteling कर रही है। कीससे मोबाइल recharge करवा रही है। और बाकी बातें कहाँ तक पहुँची हैं..ये कोई नहीं जानता। लड़कियों के मन् में जो आ रहा है कर रहीं हैं। आप कोई एक ऐसा पिता बताइये जिसने अपनी बेटी के मोबाइल का कभी call details निकलवाया हो..बेटियों के बाप से उनका दर्द सुनिए। खुलेआम दादागिरी कर रहीं हैं लड़कियां । उनको intefierence बिल्कुल बर्दाश्त नहीं है। आप achchhi बात के लिए भी उन्हें डांट fatkar नहीं सकते। कुल मिलकर haalat बड़ से बदतर हो रही है और घाटा लड़कों की भावनाओं और लड़कियों के शरीर का हो रहा है। महिला थाने जाकर औरतें बोलती हैं की उनके पति कों दांत फटकार के समझा के वापस घर भेज दो, सिविल line के cell में जाकर लड़कियां बोलती हैं की उनके बॉय फ्रेंड कों धमका दो बस। क्या पुरूष यही सब बर्दाश्त करता रहे। लड़कों की भावनाओं से खेलने का अंजाम भुगता था मॉडल दिव्या साहू ने भी। होगा यही .लड़कियां बेवफाई करेंगी तो लड़कों की भावनाएं आहत होंगी और हत्या जैसे मामले रोज़ सामने आयेंगे। आओ अपने आसपास ही नज़र रखें और ऐसे मामलों की गुप्त सूचना पुलिस कों दे ताकि महिलाये सुरक्षित रहे,, और लड़कियों के गच्चे कों प्यार समझने वाले लड़के आरोपी बनने से बचें।

6 comments:

  1. एक सामाजिक मुद्दे पर आपने लिखा, बढ़िया
    इस पर अवश्य कुछ विचार होना चाहिए

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  2. लड़कियों को समझने का यह भी एक नज़रिया है । बात तो पते की है पर इस सब में समाज की भी भूमिका है भाई । आज वह वही कर रही है जो उसे समाज ने दिया । और समाज में केवल पुरुष नहीं नारियाँ भी होती हैं । बहरहाल नये मुद्दों को शुरू करने के लिए बधाई

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  3. kya kahe ?vartmaandino me jo ho raha hai vah vakai achha nahi ho raha hai ?aapne lagbhag sabhi baton ka khulasa kar diya magar kya aaj hum raste se gujarte vaqt kabhi ye dekh kar mahsus kiye hai ki ak ladki jo ab kandhe se kandha milane ki baani ban gyi hai uska ravaiyaa kaha tak asahniy hota ja raha hai?chouk chouraahe me pulice deress me bigul bajaty ye ladkiyon ki shrarat bhi koi kam nahi kabhi bhi dekho to kinare ya eayer fone ke jariye kisi na kisi se gapiyaty dikhai dety hai ?mere apne moty baag chouk me amuman ladkiyan apne vardy ki aad me auto vaalo se ugaahi karty hai aur maale mufat dile beraham ????kabhi bhi auto roky aur savar ho ker chali apne gantavaya ki or?ye kissa to aam hai ...abhi haal hi ak dainik samachar patron me ye bhi khulasa huaa ki ak paty patny apna vivaad suljhhane ke liye mahila thane me uplabdh huye koi parkiya ke tahat aadmi ko ak lady kanstebale ne ak room me le gayi aur lagbhag aadhe ghante ke baad voh badhavas si nikly aur shor machane lagy..sare police valiyaan ak hoker us aadmi ki muk janvaaron ki trah bedam pitaai ki .aur uski patni jo sulah sambhndhi ko le kar upasthit thi voh chillaty rahi magar uski aawaz vardy ke aage kuchal di gayi?yaani ab kahne ka tatparya yeh hai ki vardy ke aad me bhi ye mahilayen ya ladkiyan kaafy khel khel rahi hai yaani shahar bhai kotvaal to ab dar kahe ka ?yahi parysthiti rahi to ak din voh aayega jisme aadmi yaani mard aurat ka kaam yani ghar chouka samhalga aur ladkiyan us per roub dalegy.....?????is vishay me vichar apekshit hai?????????

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  4. भाईजान, अगर जींस- टॉप पहनने भर से खुद को माडर्न समझने वाली लड़कियां जरा सोच से भी परिपक्व हो जातीं तो समाज का ज्यादा भला होता. अब अगर गाभिन गाय भी सांड की देखा देखी हुंडार करना चाहे तो नुक्सान किसका होगा??

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  5. आप कह तो सच रहे हैं
    पर इस सच का सामना कौन करेगा
    इसे भुगत दुर्गत तो बाप की ही बन रही है
    बेटियों की लानत मलामत करने से भी क्‍या
    सब कुछ हुआ है उन्‍हें इसी समाज से हासिल।

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