06 November 2009

प्रभाष जी , आप जिंदा हैं...

ज़िंदगी की कुछ हसरतें कभी पूरी नहीं होतीं। प्रभाष जी से मुलाकातें तो हुईं पर उनका कभी सानिध्य नहीं मिला। एक ऐसे वरिष्ठ साथी थे प्रभाष जी, जिन्होंने लिख लिख कर हम जैसे लोगों को पढने पर मजबूर किया। आज सुबह सुबह भड़ास ४ मीडिया का जैसे ही एसेमेस आया। दिल बैठने लगा था। भावुक लोगों के साथ कई दिक्कतें होती हैं। और ऐसे में अपनी बिरादरी का बाप जैसे एक गुरु ( उनकी लेखनी से उनका शिष्य ) का देहावसान एक ह्रदय विदारक मामला था। दिन तो जैसे तैसे कट भी गया। शाम को जब राज्योत्सव जाने की बारी आयी तो मन् फ़िर भारी हो गया। अपनी ही बनाई कलाकारों की संस्था आलाप ( जिसमें आज मैं कहीं नहीं हूँ ) के शो लिए मुझे आमंत्रित किया गया था। वहां भी जाने की इच्छा नहीं हो रही थी। कुछ सहयोगी समझाते रहे। एक की बात मुझे लग गयी। सहयोगी ने कहा था, जब आप मर जाओगे तब भी राज्योत्सव रुकेगा नहीं।
ये बड़ी विडम्बना है देश की। जो लोग नेता बनाते हैं, उन्हें ग़लत और सही की जानकारी देते हैं , ऐसे लोगों की मौत पर कोई शोक नहीं होता। नेता मर जायें तो बाप रे बाप॥ खैर बहुत से लोगों ने बहुत कुछ लिखा है प्रभाष जी के बारे में। सच कहूँ तो उनके बारे में कुछ लिखने की औकात भी नहीं है मेरी। लेकिन दिल भारी था तो सोचा एक बात तो लिख ही दूँ जो शायद कोई नहीं लिखेगा। प्रभाष जी , आप जिंदा हो। अब हमारी कलम भी आपके हवाले। हम जैसे कुछ मिशन वादी पत्रकारों के मन् में आप सदैव जीवित रहोगे। आप जिंदा हो प्रभाष जी॥ आप जिंदा हो.

3 comments:

  1. आप जिंदा हो प्रभाष जी॥ आप जिंदा हो.

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  2. प्रभाष जी के निधन पर हमारी विनम्र श्रद्धांजलि .

    - विजय तिवारी ' किसलय '

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  3. प्रभाष जी .. जिन्‍दाबाद.

    विनम्र श्रद्धांजली.

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