05 November 2009

अग्रवालों को निपटा रहे हैं श्रीवास्तव

जब छत्तीसगढ़ राज्य बना और जोगी की का आक्रामक रुख हम लोगों ने देखा तो ऐसा लगने लगा था कि छत्तीसगढ़ में रहना है तो इसाई बनना बेहतर है। आम आदमी का डर आकाश चैनल में रहकर अपनी आंखों से देखा है मैंने। बाद में जब जोगी जी से थोडी घनिष्ठता बढ़ी तब लगा आदमी वैसा नहीं है। कई बार अपने चेहरे पर आवरण चढाना भी पड़ता है। वही हाल अनिल पुसदकर का भी है और हाँ मेरा भी। हम लोगों की फितरत वैसी नहीं है पर हम जानते हैं जिस दिन हम लोगों ने अपना मुंह और कलम शांत की उस दिन कुत्ते बिल्ली की तरह लोग हमें नोच खायेंगे। मैं ये तुलना इसीलिये कर रहा हूँ की हमारी सोच एक जैसी है इसीलिये हम साथ में काम नहीं करते। अपने दुश्मनों को निपटाना कोई बुरी बात थोड़े ही है। डॉक्टर रमन सिंह के चेहरे से बहुत प्यार करता हूँ मैं। मेरा बेटा भी वैसा ही गोपू गोपू है. हमेशा उसे देखकर गाल चिमटने और प्यार करने की इच्छा होती है
डॉक्टर साहब वैसे भी बुरे नहीं हैंउनके मंत्रिमंडल और अफसरों ने एक अग्रवाल लॉबी को जानबूझकर खड़ा कर दिया हैराजिम कुम्भ में जब डॉक्टर साहब को ये जानकारी मिली तो बजट पर लगाम कसी थी उन्होंनेइस बार राज्योत्सव में एक अफसर ने अपने ही विभाग के अग्रवाल मंत्री के विरुद्ध एक षडयंत्र रचा हैपुलिस विभाग से आए इस अफसर को शायद इस बात का भान नहीं है कि उस मंत्री के समर्थक पूरी छत्तीसगढ़ की पुलिस से भी ज्यादा हैंइस अफसर ने श्रीवास्तव , वर्मा और इन्ही श्रेणी के लोगों को इस बार राज्योत्सव में लगाया है, ये लोग भी निजी तौर पर एक एग्रीमेंट के तहत जोड़े गए हैंआने वाले समय में स्थिति विस्फोटक होगी हीब्लॉग इसीलिये लिख दे रहा हूँ ताकि बाद में लोग ये बोलें कि तुम्हे पता था तो बताया क्यों नहींये भी सम्भव है कि जातिवाद का ज़हर छत्तीसगढ़ में घोलने वालों के विरुद्ध कोई सेना तैयार हो जाएसब जानते हैं अफसर आते जाते रहते हैं मंत्री को तो यहीं रहना हैअब ये बात अफसर नहीं जानते या जान बूझकर ऐसा कर रहे हैं तो प्रभु श्रीराम ही उनकी नैय्या पार करेंजय श्री राम

1 comment:

  1. जहां नेता वोटों के लिए जातिवाद, क्षेत्रवाद की राजनाति करते हों वहां भले की उम्मीद कैसे हो सकती है। हम आमजन को इसे बढ़ावा नहीं देना चाहिए।

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