20 October 2009

अब लाइन मिली जी २४ घंटे छत्तीसगढ़ को.. आख़िर सवाल सरकारी विज्ञापन का है.

मध्यप्रदेश के दौर में छत्तीसगढ़ में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की पहल करते वक्त ही मुझे पता था कि ये लाइन आगे बढेगी और आने वाले समय में अच्छे पत्रकारों का टोटा होगा। ऐसा हुआ भी। बाहर के लोग भले ही छत्तीसगढ़ के लोगों को नॉन टेक्नीकल बोल - बताकर उन्हें मूर्खों की श्रेणी में रखें लेकिन मुझे पता है की एक न एक दिन ये बात भी लोगों को समझ में आएगी की अपने आपको श्रेष्ठ बताने के लिए दूसरों को मूर्ख साबित करना कितनी बड़ी मूर्खता है। १९८६ से जनऊला की शुरुआत करते समय लोगों ने हमें पागल घोषित किया था। आज उसी मीडिया के पीछे लोग पागल हैं। कई चैनलों को शुरू और बन्द होते देख एक बात तो बहुत अच्छी तरह से साफ़ हो गयी की ये पूरा खेल पैसों का है।
छत्तीसगढ़ में जब १३ माह पहले जी २४ छत्तीसगढ़ ने दस्तक दी तभी समझ में गया था कि आगे जाकर इसका होना क्या है। बाहरी लोगों के मन् में जो आया वो किया और अब सबको अपनी औकात पता चल गयी है। यही लोग हैं जिनके कारण मीडिया में इस channel का नाम जी २४ घंटे अफवाह रखा गया। सात नक्सली मरते हैं तो यहाँ चालीस कि ख़बर चलती है। अधिकृत तौर पर पुष्टि हो जाने बाद भी एंकर को बताने में शर्म नहीं आती कि दरअसल मरे सात ही हैं कोई बच्ची रिंग रोड में घायल होती है तो उसे यहाँ मृत बताकर स्क्रॉल चला दिया जाता है। लोकल लोग field में शर्मिंदा होते फिरते हैं। करें तो करें क्या? इसी channel में दिन पहले भिलाई को जिला बताया गया था। एक ख़बर में एंकर ने कहा था कि भिलाई के जिला पुलिस अधीक्षक ने इस मामले की जानकारी दी। फिर ख़बर में aston में जिला पुलिस अधीक्षक दुर्ग लिखा हुआ आया। नवरात्री के बाद जंवारा विसर्जन में झूपना और बाना धरना इस channel को अन्धविश्वास लगता है। अरे भाई आप लोग यहाँ रोजी रोटी के लिए आए हो। नए पत्रकार हो तो यहाँ के वरिष्ठजनों से सीखो। पूछो उनसे कि दरअसल है क्या छत्तीसगढ़? धान घोटाले की ख़बर तो जबरदस्त थी। channel की टी आर पी तो बढ़ी लेकिन इनके उद्योगों की विद्युत व्यस्था ठप्प हो गयी। अलबर्ट पिंटो की तरह मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह को पहली बार लोगों ने गुस्से में देखा। सरकार सरकार होती है। उद्योग इसके अभिन्न अंग होते हैं फिर बदमाशी किसने की? खैर रोजाना छोटी बड़ी गलतियों के साथ अब channel को line मिल गयी है। आख़िर क्यों करें अब सरकार का गुणगान सवाल सरकारी विज्ञापन का है। १३ महीने के अनुभव ने आख़िर सब कुछ सीखा दिया। छत्तीसगढ़ के लोग सीधे सादे हैं मूर्ख नहीं हैं आप नहीं बताओगे कि घोटाला नहीं हुआ है तो भी घोटाले तो होंगे सरकार अपना काम कर रही है आप भी अपना काम करें तो बेहतर है। डॉक्टर रमन सिंह ने तो कहा भी है कि आप लोग हरिश्चंद्र की औलाद तो नहीं हैं। अब बाबा रामदेव का आर्शीवाद है इसका मतलब ये तो नहीं है कि आप बोल देंगे तो १०० प्रतिशत मतदान हो ही जाएगा। एक बात और साफ़ कर दूँ कि ये ब्लॉग लिखने का उद्देश्य सिर्फ़ छत्तीसगढ़ के लोगों कि भावनाओं को आहत करने वाले बाहरी पत्रकारों को समझाना मात्र हैकोई ग़लत समझ ले।
अन्यथा लें..

2 comments:

  1. ahgaz saheb , bahut achhi khabar hai.......shabdo ka chunav aapne badi shalinata se liya hai jabki apko r bhi sidhi bhasha aati hai.....
    achhe vicharo k liye sadhuwad swikare.......

    ReplyDelete