30 March 2011

300 का मोमेंटो...फिल्म स्टार्स के साथ फोटो.....

 आज तक हम  babylon का नाम सुनते थे, abylon का 
नाम पहली बार सुना. आप सोचेंगे की वाकई में ये abylon  क्या  है? अरे इसी नाम से तो छत्तीसगढ़ी फिल्मों के अवार्ड बंटे.
एक दैनिक अखबार,  जो राजेश शर्मा के चक्कर में बंद हो गया था. अब वो मासिक हो गया है. उसी को लांच करने के लिए तो फ़िल्मी कलाकारों का इस्तेमाल किया गया. छत्तीसगढ़िया लोग तो इस्तेमाल के ही लिए बने  हैं न? एक  फिल्म निर्माता को भी आगे आना था..उसी ने पैसा भी लगा दिया. क्या चल रहा है छत्तीसगढ़ में? चार चवन्नी भर पत्रकार जिन्हें खुद कुछ आता जाता नहीं है, उन लोगों की जूरी बना दी गयी. उन्ही लोगों ने अपने सम्पादक की नज़र में चढ़ने के लिए उन्हें आमंत्रित कर  लिया और हो गया "सिने अवार्ड".. वाह ये क्या बात हुई. आज की तारीख में प्रेम चंद्राकर और सतीश जैन के योगदान को आप भुला नहीं सकते, उनकी गैर मौजूदगी में ही हो गया ये आयोजन. राजेश शर्मा से धोखा खाने के बाद अब हमारे यहाँ के मंत्री थोड़ा परहेज करने लगे हैं,  बुलाया तो उन्हें भी गया था. अब बताइये न कार्ड छपा न कोई एस एम् एस हुआ. बस चार लोगों ने तय कर लिया और अपने हिसाब से पूरा प्रोग्राम तय हो गया. न किसी वरिष्ठ से राय ली न उन्हें कुछ बताया, बस हो गया आयोजन. छत्तीसगढ़ के कलाकार क्या वृहन्नला हैं जिन्हें छट्ठी- छल्ले के नाम पर कहीं भी नचवा लो.,
कुछ मजेदार किस्से सुनिए.. रवि अग्रवाल को यहाँ यह कहकर सम्मानित किया गया की HDV. की खोज उसने की है. अगर ये बात HDV  का निर्माण करने वाली कंपनी को हो गयी तो? (इस सन्दर्भ में रवि ने आपत्ति करते हुए मुझे इस आयोजन के वीडिओ फूटेज का हवाला देते कहा है की छत्तीसगढ़ में एच.डी.वी. पर पहली फिल्म बनाने के लिए उसे सम्मानित किया गया है. मैं रवि को व्यक्तिगत रूप से जानता हूँ. उर्जा और प्रतिभा उसमें कूट - कूट कर भरी है. दरअसल रवि और मैं एक ही ग्रह के सताए हुए हैं. हम अपने वक्त का इंतज़ार कर रहे हैं. कोई हमें इस्तेमाल न कर ले.., यही सोच सोच कर हम डरते हैं और वो डर सच का दामन पकड़कर हमेशा हमारे सामने खड़ा हो ही जाता है. अंतर्मुखी  व्यक्तित्व   होने के कारण हम दोनों में कई समानताएं हैं.) "बिदाई" फिल्म में पार्श्व  गायन के लिए अलका चंद्राकर को सम्मानित किया गया और वहां छाया चंद्राकर की आवाज़ वाला गाना " डेहरी ला लांघ के जाबे वो बेटी"  .. चलता रहा. मनमोहन को जिस फिल्म " टूरी नंबर ०१"  के लिए बेस्ट विलेन का अवार्ड मिला उसमें वो सहायक विलेन था. पुष्पेन्द्र सिंह इस फिल्म में विलेन थे.  कॉमेडी उस समय भी हुई जब बेस्ट कॉमेडियन की दौड़ में शामिल क्षमानिधि मिश्रा को अतिथि बनाकर मंच पर बुलाया गया और उन्ही के हाथों सवश्रेष्ठ कॉमेडियन का अवार्ड हेमलाल को  दिलवाया गया. मुकेश  वाधवानी और मनोज वर्मा की पूरे आयोजन में चली. जो लोग इन बड़ी बातों को यह कहकर टाल रहे हैं की चलो शुरुआत तो हुई, मैं उनमें से नहीं हूँ. आपको ये सब जानकर हैरानी नहीं हो रही है?  शुरुआत तो राजेश शर्मा ने भी की थी.,  आज वो भगोड़ा है, दरअसल एक दैनिक अखबार , जो राजेश शर्मा के कारण बंद हो गया था , उसे मासिक बनाकर शुरू करने के लिए ये षड़यंत्र रचा गया. षड्यंत्रकारी जानते थे कलाकार सम्मान का भूखा होता है. मिटा दी भूख उसकी. अनुज को छोड़कर सारे पुरस्कारों पर मुझे व्यक्तिगत आपत्ति है, चार लोग मिलकर छत्तीसगढ़ के कलाकारों का निर्धारण नहीं कर सकते. एक अखबार अब अपनी गलतियाँ सुधार रहा है. गलती सुधारी जा सकती है, लेकिन इस तरह के आयोजन से कलाकारों की छवि धूमिल तो होगी ही. अब आप भी अपने गाँव में ऐसे आयोजन करवाएं और सम्मान के चक्कर में देखिये कैसे दौड़े आते है कलाकार ?   

2 comments:

  1. जरुर करवाते हैं गाँव में आयोजन

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  2. इनाम के पीछे का खेल स्‍पष्‍ट हुआ, धन्‍यवाद भाई.
    इस पुरस्‍कार चयन समिति में मेरा नाम होने के संबंध में मुझे रायपुर व भिलाई से कुछ फोन आये थे तो मैंने कहा था कि मुझे नहीं पता किसी नें मेरा नाम डाल दिया होगा। बाद में पता चला कोई और संजीव तिवारी है जो चयन समिति में है।
    अभी तक मैं यह सोंचता था कि छत्‍तीसगढ़, छत्‍तीसगढ़ी में 'टिंग-पुच' करने वाला संजीव तिवारी मैं ही हूं :):)

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