26 March 2011

ख़बर बनाने आया था, खुद ख़बर बन गया

कुल मिलाकर ये बात तय रही की छत्तीसगढ़ सरकार हर मामले में नाकारी ही है. खुले आम लूट मची है, यहाँ के मंत्रियों को पैसा दिखाओ और चाहो तो पूरे छत्तीसगढ़ को ही खरीद डालो. कौन है राजेश शर्मा? कहाँ से आया था? जो लोग राजेश शर्मा की मदद करते थे, उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं कर रही है पुलिस? बुजुर्ग ठीक कहते हैं अपना घर ठीक न हो तो बाहर की दुनिया सुधारने की कोशिश मत करो
हाजी  इनायत अली, हाजी मोहसिन अली सुहैल, मुकेश खन्ना और अनिल पुसदकर से ही पुलिस पूछताछ करेगी तो उसका दस हज़ार रूपया बच जायेगा. 
ये चारों  मिलकर राजेश शर्मा की काली करतूतों को  ढंकने के लिए अपने नाम और पद का दुरूपयोग भी कर रहे थे. मैं शुरू से सबको सतर्क कर रहा था, पर सब पैसों के पीछे  भाग रहे थे,  जब मैंने राजेश शर्मा के कथित और बिना पंजीयन के  न्यूज़  चैनल " हिन्दुस्तान न्यूज़" में श्रम विभाग का  छापा  डलवाया था, तब अनिल पुसदकर , प्रशांत शर्मा, हाजी मोहसिन अली  और धनंजय वर्मा ऐसे भागकर आये थे, जैसे उनके बाप के खिलाफ मैंने कोई शिकायत कर दी है. हमारा दूसरा टार्गेट था बिजली विभाग, घरेलु बिजली से यहाँ चैनल संचालित हो रहा था, वहां भी अनिल पुसदकर ने अपना पव्वा लगाया. जो चीज़ें ग़लत हैं, उसका विरोध क्यों नहीं होता, कितना पैसा कमाया राजेश शर्मा और उसकी चांडाल  चौकड़ी ने?  दरअसल छतीसगढ़ की नींव ही गलत तरीके से रखी गयी. यहाँ शुरू से पैसे वालों का बोल बाला रहा है, पैसा कहाँ से आ रहा है, इस पर किसी ने ध्यान ही नहीं दिया, बस अपनी जेबें भरते चले गए मंत्री और खोखला होता चला गया छत्तीसगढ़. अब मध्यम वर्ग का आदमी करे तो करे क्या? हथियार भी तो नहीं उठा सकता ये तबका. उन पालकों के बारे में सोचिये, जिन्होंने अपनी खून पसीने की कमाई से अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए राजेश शर्मा को लाखों रूपया दिया. आह से मरोगे रे सब के सब. ढेर सारे उदाहरण सामने हैं, आँख खोलकर देख तो लो. वेश्याओं जैसे सब सिर्फ पैसा कमाने की होड़ में लग गए हो. जब " हिन्दुस्तान" में मैंने छापा डलवाया था, उसी दिन स्कूल शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को भी हमने शिकायत की थी, की   इसकी स्कूलों की जांच करवाओ,  विदेशी पैसों के  आवक जावक का भी पत्र हमने सौंपा था. मेरे पुराने ब्लॉग तारीख सहित इसके गवाह हैं. इसके बावजूद धड़ल्ले से पूरे छत्तीसगढ़ में राजेश शर्मा की स्कूलों का उदघाटन होता रहा. अब मुझे ये नहीं समझना है की ये सब कैसे संभव हुआ होगा. पालकों को तो स्कूल शिक्षा मंत्री से ही अपने पैसों की भरपाई की मांग करनी चाहिए,
पुलिस तो खानापूर्ति में माहिर है ही, अब उसे भगोड़ा बता रहे हैं. दस हज़ार का इनाम रखा है उस पर. जब दो साल पहले उसका साथी सिविल लाइन थाने में गिरफ्तार हुआ था, तभी से पुलिस सतर्क हो जाती तो इस घटना को टाला  जा सकता था. पर हाय रे पैसा. हो गया खेल. अब एक बात और साफ़ हो गयी की इन्हीं चोर उचक्के अखबार और चैनल वालों की 
" लाइज़निंग " "escorting "  और "marketing " करने के कारण अच्छा खासा पैसा बन जा रहा है, इसीलिये प्रेस क्लब का अध्यक्ष पद छोड़ने का मन नहीं  कर रहा है अनिल पुसदकर का. और जो लोग प्रेस क्लब में चुनाव करवाने के लिए जाने जाते हैं, उन्हें अपना  नौकर बना लिया था राजेश शर्मा ने.
एक भिखमंगा अचानक करोड़पति हो जाता है तो मुख्यमंत्री भी उसके कार्यक्रम में जाने को तैयार हो जाते हैं, कभी किसी छत्तीसगढ़ी कलाकार को सम्मान मिले न मिले, राजेश शर्मा के दलाल मुख्यमंत्री के हाथों भोजपुरी कलाकार का सम्मान करवाने में भी कोई कोर -कसर नहीं छोड़ते. छत्तीसगढ़ी कलाकारों को संस्कृति विभाग वाले नोच रहे हैं चूस रहे हैं और मलाई खाने आ जाते हैं भोजपुरी कलाकार. कौन है इसका ज़िम्मेदार? हम खुद. मैं अपने कुछ दोस्तों के साथ कुछ नया करने की सोच रहा हूँ, हम अपने घर को ही नहीं बचा पाएंगे तो क्या मतलब ऐसी ज़िंदगी का? कुत्ते जैसे जीने से अच्छा है मर ही जाओ.

6 comments:

  1. bhaai pure hi kue men bhaang ghuti he sbhi jgh kaa aesaa hi haal he sch likho to chmche bhi buraa maan jaate hen . akhtar khan akela kota rajsthan

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  2. aapka takhallus aur andaaz e bayan pasand aaya.thanks for commens.

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  3. uttho aur sauch ke liye kam se kam aawaz uthaao....ya fir paisa bolta hai....hindusataan...ke desh bagat.....moun rahega kab tak.....?

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  4. लगे रहो अहफाज भाई।

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  5. साथ ही है भाई जान कारवां आपके पिछे ही है
    आपके
    सुधीर

    9926124801

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