07 September 2010

शकुनी मामा और महतारी

आम तौर पर मुंबई के लोग बाहर काम करने तब निकलते हैं जब मुंबई में उन्हें कोई पूछता नहीं है. शकुनी मामा भी कई दिन से ख़ाली थे, रायपुर का एक धूर उनके सम्पर्क में आया तो शकुनी मामा ने तत्काल बिसात बिछा दी. हिंदी फिल्म "मैं तुलसी तेरे आँगन की" और "उपकार" देखकर उसे मिलाकर एक छत्तीसगढ़ी फिल्म " महतारी" की योजना बनाई और पहुँच गये कवर्धा. छत्तीसगढ़ी लोग उनकी भाषा सुनकर बेहोश हो रहे हैं. शकुनी मामा ना तो हिंदी बोल रहे हैं ना छत्तीसगढ़ी, और ना ही भोजपुरी. अब जब फिल्म रिलीज़ होगी तब पता चलेगा की फिल्म बनाने का मकसद आखिर क्या था? तीन-तीन हीरोइन  भी आयीं  हैं मुंबई से. खैर... छत्तीसगढ़ के फ़िल्मकार भी भेडचाल के शिकार हैं. अभी तक तो सब ठीक ठाक चल रहा है. आगे पता नहीं क्या होने वाला है.

4 comments:

  1. हमारे रोल का क्या हूआ भाई
    हमारा सीन काट दिए क्या?

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  2. dhansu, ekdam sahi, dhur ka kya hoga aage chalke........ shakuni mama ka to jo hona hai hogaa hi..... ;)

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  3. लाजवाब .


    पोला की बधाई भी स्वीकार करें .

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