14 July 2010

छत्तीसगढ़ी फिल्मों की शुरुआत करने वाले कन्हैया पंजवानी नहीं रहे..


ज अल सुबह ६.३९ पर एक एस एम् एस मिला. श्याम चावला का एस एम् एस था. लिखा था कन्हैया पंजवानी की अंतिम यात्रा आज ११ बजे उनके निवास से राजेंद्र नगर श्मशान के लिए रवाना होगी. एस एम् एस पढ़ते ही मन् अजीब सी खामोशी  में डूब गया. मैं अकेले रोते रोते सोचने लगा की अब हमारे कामों की अच्छाइयां और बुराइयाँ कौन निकालेगा. समय के साथ अपनी पहचान खोते रायपुर या छत्तीसगढ़ के लोग जीते जी कन्हैया भैया  की विशेषताएं जान ही नहीं पाए. अब पता नहीं क्यूँ लगने लगा है की कुछ काम धाम करने की बजाय मौत का इंतज़ार करना बेहतर है. पहले कीर्ति आयंगार को कन्धा दे आये, हाल ही में प्रदीप पोद्दार को और अब कन्हैया भैया . ईश्वर के न्याय पर अब संदेह होने लगा है. कन्हैया भैया के पिता पूरी तरह से टूट गये हैं. मैं बाकी लोगों की नहीं जानता पर इतना ज़रूर जानता हूँ की मेरी हर गतिविधि पर उनकी नज़र रहती थी. मैं खुद ही उन्हें बुलाकर अपना नया क्रिएशन दिखा दिया करता था.
  आज मन् में बड़ी हलचल है. कल दिन भर भी अजीब सी बेचैनी में गुज़रा. संदेह था की कुछ गड़बड़ होने वाला है और हो ही गया. अब हमें छूट गलियां देकर हमारी तारीफ करने वाली आवाज़ आज खो गयी. संघर्ष करते करते शायद थक गये थे कन्हैया भैया. पैरालिसीस  का attack पड़ने के बाद मैं भी पहली बार उन्हें इस हालत में देखकर शायद इतना डर गया था की दोबारा उनकी तबियत तक पूछने नहीं गया. वो बोल नहीं पाते थे बहुत कुछ कह देना चाहते थे. उनको देखकर लौटा तो कई बार रोया. उनके स्वास्थ्य की  ख़बरें तो मिलती रहती पर मैं उन्हें दोबारा देखने का साहस नहीं जुटा पाया. आज तो जाना ही होगा. वो नहीं बोलेंगे ना? कोई बात नहीं . बुरा समय एक और नासूर देकर गया ना?
  हौसला ना तो किसी के बोलने से बढ़ता ना कम होता.उसे अन्दर से ही कहीं जगाना होता है. जगायेंगे.. और क्या करेंगे. काम के मामले में समझौता नहीं करने की हिदायत हमें उन्होंने ही दी थी. जो काम अच्छा है उसे अच्छा और जो बुरा है वो बुरा कहना भी उन्होंने ही हमें सिखाया और इस आदत का खामियाजा खुद भी भुगतते रहे और हमें भी ऐसा ही बना दिया. आज अपने या अपने काम के बारे में कौन बुरा सुनना चाहता है. लोग तो बस भाग रहे हैं. छत्तीसगढ़ की पहली वीडियो फिल्म " जय माँ बम्लेश्वरी" का छायांकन और सम्पादन कन्हैया भैया ने ही किया था. उस दौर में सिर्फ वी एच  एस था. और उस पैटर्न  में एडिट करना बड़ा कठिन काम था. उस समय की सुपर डुपर हिट फिल्म देने के बाद भी वो एकदम सामान्य  रहे.  फिर हमारे साथ उन्होंने मध्यप्रदेश की पहली वीडियो न्यूज़ मैगजीन " जनऊला " का सम्पादन किया. जब छत्तीसगढ़ी फिल्मों का दौर शुरू हुआ तो कन्हैया भैया ने भी बतौर producer " तुलसी - चौरा" का निर्माण किया. स्क्रिप्ट के समय कुछ सीन और कुछ मुद्दों को लेकर मेरा उनसे विवाद हो गया. मैंने उनसे बातचीत बंद कर दी. बाद  में एक दिन वो घर आये और मुझे समझाकर तुलसी - चौरा के पोस्ट production के लिए राजी किया. जब फिल्म नहीं  चली  तो  फिर एक दिन घर आये और कहा की जिस सीन और मुद्दों पर तुने आपत्ति जताई थी , वो वाजीब थी.  
  ऐसे थे कन्हैया भैया. इस बीच कुछ लोग उनके सफ़ेद बाल का इस्तेमाल करने लगे थे . कुछ भी अंड बंड करने की बजाय वो ख़ाली रहना पसंद करते थे. हमें भी यही सीख दी. मै उम्र में उनसे कम से कम २० साल छोटा हूँ पर किसी भी फिल्म, सीन या एल्बम पर वो मुझे खुलकर सुनते थे. उन्हें मेरे साथ और मुझे उनके साथ काम करने में खूब मज़ा आता था.ढेर सारे कीससे हैं जो अब कसक बनकर चुभते रहेंगे. आज से सब मज़ा ख़त्म. अब खुद बनाओ ,खुद समीक्षा करो, खुद देखो. हमारी इसीलिये भी पटती थी , क्योंकि जो उन्हें अच्छा नहीं लगता था वो मुझे भी कभी  अच्छा नहीं लगा.  और जो मुझे अच्छा लगा वो भी उसकी तारीफ़ करते नहीं थकते थे. विचारों में समानता हमारी खासियत थी. आज सब ख़त्म हो गया. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे और हमारी भी आर ए सी क्लीयर करे. आमीन . 

7 comments:

  1. छत्तीसगढी फ़िल्मों को पितृपुरुष को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि।

    अहफ़ाज भाई,जय बम्लेश्वरी एवं तुलसी चौरा के विषय में जानकारी है मु्झे। लेकिन कहा गया है मृत्योर्मा अमृतं गमय। उनकी याद सभी के दिल में है,ऐसे कालजयी लोग सिर्फ़ देह छोड़ते हैं और सुक्ष्म रुप में हमारे बीच ही मौजुद रहते है मार्ग दर्शक के रुप में।

    ईश्वर उनके परिजनों एवं हितैषियों को दारुण दु:ख सहने की शक्ति दे।
    आमीन

    ReplyDelete
  2. kanhaiyaa ka janaa akhar gaya.ve mere bhi antarang parichit thay, chhattisgarh me ve filmo ki duniyaa ke sansakaar lane valon mey se the. unhen shrddhaanjali.

    ReplyDelete
  3. behad dukhad ....
    pata nahin niyati kya chahti8 hai..aahi8sta aahi8sta sbhi8 bhale lo8g ham se bichhudte ja rahe hain...

    ReplyDelete
  4. कन्हैया भईया को इस पोस्‍ट में जीवंत कर दिया भाई आपने.

    ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे

    ReplyDelete
  5. कन्हैया भाई जी नहीं रहे , यह जानकर दुख हुआ । ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें । -आशुतोष मिश्र

    ReplyDelete
  6. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे|कन्हैयाजी ने कला को दिल से जिया और चुपचाप चले गए लेकिन उनका योगदान याद रहेगा| आपके दुःख में सहभागी|

    ReplyDelete
  7. ईश्वर कन्हैयाजी की आत्मा को शांति दे|
    बेहद संजीदेपन से लिखा है भाई तुमने ...मैं तो कभी मिला नहीं उनसे पर पढ़ कर लगा कि कोई अपना ही था....ईश्वर हमारी भी आर ए सी क्लीयर करे. आमीन .

    ReplyDelete