30 June 2010

well done नक्सलियों...good job?

           ( लहू- लुहान घटना स्थल पर जवानों के रक्त और जूते..)              
    ( घटना -स्थल से ट्रैक्टर और बाद में सेना के विमान से भेजे गये शव)
    ( इसी रास्ते के उपयोग से जवानों को मदद  मिली)
                                                                          क्या बात है..... कल फिर २7 सी आर पी ऍफ़ के जवानों को तुम लोगों ने शहीद कर दिया. छत्तीसगढ़ की जनता भी तो सीधी सादी है ना. और सबसे सीधे हैं हमारे मुख्यमंत्री. और उनसे भी  लाख गुना सीधे हैं हमारे गृह मंत्री. पूरी दुनिया में आग लग जाए इन लोगों को कोई फर्क ही नहीं पड़ता. फिर पहुँच जायेंगे दिल्ली १३ करोड़ मांगने. इतना करोड़ तो आ गया. कहाँ गया?
    मुझे एक बात नक्सलियों से सीधे सीधे पूछनी है की क्या पुलिस के जवानों को मारने से आ जायेगा उनका राज्य? अरे हमला उन पर करो जो तुम्हारे कथित राज के आड़े आते हैं. ये जवान तो अपने बीवी बच्चों को छोड़कर नौकरी के लिए आते हैं. कई नक्सली भी तो इस हमले में मारे गये हैं. उनकी लाशें देखकर तरस नहीं आता. जवानों के बीवी बच्चों पर भी तरस नहीं आता तुम लोगों को. कौन सा इन्कलाब ला दोगे. अपने उद्देश्यों से भटक गये हो तुम लोग. काहे का माओवाद? घंटे का? मुझे पता है तुम लोगों का शहरी नेटवर्क भी बहुत तगड़ा है. हमारे कुछ दलाल साथी भी तुम लोगों से मिले हुए हैं. उनके भी बीवी बच्चे हैं याद रखना. पत्रकारिता का चोला ओढ़ लेने से आत्मा नहीं मर जाती. मर भी गयी होगी तो एक दिन जागना होगा उसे. 
    wel done की heading इसीलिये लगाया ताकि तुम में से कोई इसे  पढ़े और एक बार चिंतन करे. देखो अपना कुछ नहीं जायेगा. अपन तो बिंदास लिखते हैं और ऐसे ही मर जाना  चाहते हैं. मुझे पता है की  तुम लोग बहुत  अच्छा काम कर रहे हो. तुम लोगों के ही कारण नेशनल चैनलों में छत्तीसगढ़ को जगह मिल पाती है , नहीं तो कौन पूछता है छत्तीसगढ़ को. तुम लोगों के कारण ही राज्य सरकार को केंद्र सरकार से  करोड़ों रुपये मिल रहे हैं. तुम लोगों  की भी तो जमकर वसूली की शिकायतें हैं. कुल मिलाकर सब का धंधा बढ़िया चल रहा है. तुम लोगों के कारण छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का साथ बी जे पी को मिला हुआ है.  अच्छा है सब खाओ खुजाओ, बत्ती बुझाओ. तुम लोग तो भगवान् को भी नहीं मानते ना? मैं मानता हूँ और भगवान् की शक्ति भी साक्षात देखी है मैंने. एक बात का आश्वासन मैं तुम लोगों को ज़रूर दे सकता हूँ की ये सरकार तुम लोगों के खिलाफ कोई बड़ा कदम उठाकर अपना धंधा बंद नहीं करेगी. जो सरकार अपने व्यापारी भाइयों से उनके मजदूरों को मुफ्त चावल देकर उनका धंधा चौपट कर सकती है. वो सरकार कुछ भी कर सकती है, पर तुम लोगों के आड़े कभी नहीं आयेगी सरकार .तुम लोगों के कारण ही तो कई होटलें इंडिया के बाहर खड़ी हो गयी हैं.  तुम लोगों का ही आशीर्वाद पाकर कई छगन  और राजीव अग्रवाल पैदा हुए और जी रहे हैं.  बाबूलाल जैसे लोगों को भी गले से लगाकर रखती है हमारी सरकार. अभी  कुछ दिनों तक छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे अमित जोगी ने भी तो तुम लोगों के इलाकों में जाकर सत्याग्रह किया. तब कहाँ थे तुम लोग. खैर अन्दर की बात मुझे पता है.  हमारी सरकार को नपुंसक मत समझना. ऐसा नहीं है  की हमारी सरकार के पास कोई दमदार गृहमंत्री नहीं है. पर बाकी लोग थोड़ा होशियार हैं इसीलिये काम चला रही है सरकार. हमारे गृह मंत्री को हमेशा जवानों की गलती ही नज़र आती है. शकल से ही ऐसे दिखते हैं की  सबको दया आ जाती है. नैतिकता के नाम पर भी वो कभी इस्तीफे की पहल नहीं करेंगे. कभी कभी लगता है की उनको इस्तीफे की भी मनाही है और खुद गृह मंत्री बंदियों जैसा जीवन जी रहे हैं.अब कांग्रेस अपनी   परंपरा निभाएगी. पुतला वुतला जला देंगे. बस हो गया विरोध. सब गुड गाड चल रहा है. पर मेरी एक विनती सुनोगे? बंद कर दो ये नरसंहार...मानव जीवन पाए हो तो किसी का उद्धार करो. अगले जनम में पता नहीं बस्तर हो ना हो. वहां नक्सलवाद हो ना हो....? 

14 comments:

  1. Sahi kaha aapne, par in naksliyon ko ye baat koun samajhaye? haan aap print media waale log hi ye kaam kar sakte hain, aur rahi baat grih mantree ko jawano kee galti dikhayi dene kee baat to wo unhe hamesh hi dikhai dei, par hame tab dikhai degi jab ek -do mantriyon kee surakshha ghere mei kamjori aaye... shayad tabhi mantri ji ki bhi aankhe khul jaaye...
    parantu bahut-bahut dhanyawaad aise lekh ke liye...

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  2. नक्‍सली ब्‍लॉग पढ़ते होंगे क्‍या ? अगर पढ़ते हों तो फिर ऐसा कुकर्म करे ही क्‍यों ?

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  3. जियो मेरे शेर -- ये सरकार तुम लोगों के खिलाफ कोई बड़ा कदम उठाकर अपना धंधा बंद नहीं करेगी. जो सरकार अपने व्यापारी भाइयों से उनके मजदूरों को मुफ्त चावल देकर उनका धंधा चौपट कर सकती है. वो सरकार कुछ भी कर सकती है, पर तुम लोगों के आड़े कभी नहीं आयेगी सरकार---शकल से ही ऐसे दिखते हैं की सबको दया आ जाती है. नैतिकता के नाम पर भी वो कभी इस्तीफे की पहल नहीं करेंगे. कभी कभी लगता है की उनको इस्तीफे की भी मनाही है और खुद गृह मंत्री बंदियों जैसा जीवन जी रहे हैं.बंद कर दो ये नरसंहार...मानव जीवन पाए हो तो किसी का उद्धार करो. आपके विचारो से मै सहमत हु-सरकार की सिर्फ़ बयानबाजी से काम चलनेवाला नही है। बस्तर को अब सेना के हवाले कर ही देना चाहिये…अन्यथा आये दिन हमे शहिदो को हर माह सलामी देनी होगी…।

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  4. नक्सलियों का बरपा कहर
    जर्रा जर्रा थर्रा उठा बस्तर


    आपके ब्लाग की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर

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  5. शहीद हुए उन सैनिकों को, जांबाज सिपाहियों को शत शत नमन.

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  6. bhool ke naxali inke blog ko na padhein.......warna sarkar kahegi ki Ahfaz bhai par naxlion se contact rakhne ke aarop me jansuraksha adhiniyam laga diya jaye.........yahi to problem hai chhattisgarh or krantikari patrakaron ki......well done ahfaz bhai

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  7. ऐसी घटनाओं से मन में ऐसा ही आक्रोश फूटता है.....

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  8. bahut badiya aalekh...keep it going ahfaz bhai...

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  9. आपके जज्बे को सलाम. किसी ने तो हिम्मत किया ऐसा लेख पोस्ट करने का वरना लोग बात तक करने में कतराते हैं. हमारे मुल्क में जिसके जी में जो आता है, बोल जाता है. अरुंधती राय सरेआम क्या क्या बोल जाती हैं और कहीं एक पत्ता भी नहीं डोलता. अभी एक नया चाहने वाला पैदा हो गया है नक्सलवादियों का. एक फिल्म में शायद उनका किरदार निभाया है और उनसे सहानुभूति रखने का दावा करने लगे हैं सुनील सेट्टी. उनका कोई सगा मारा नहीं गया है न नक्सलियों द्वारा.क्या करें अहफाज भाई...
    "हादसों के साए हैं हदे निगाह तक
    हर सड़क पहुंचती है शबे सियाह तक.
    बहरे शहर में गाता रहा नगमा इ दर्देदिल
    राहें मेरी सिमट गई मेरी आह तक"
    इस जांबाज लेख के लिए बधाई.

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  10. शाबाश अहफाज , हम सब ऐसे ही लिखते रहें व्यवस्था जरुर बदलेगी / वेतन भोगी नेताओ और सरकारी नौकरों को भी बदलना होगा

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  11. बहुत अच्छा लेख भाई. लिखना जरूरी है, इसलिये नही कि लिखने से सब कुछ बदल जायेगा. इस भ्रम में न जियें क़ि लिखने से कोई बडी घटना होने वाली है. अगर ऐसा होता तो तुलसीदास, निराला और अग्येय बहुत कुछ कर गये होते. लेकिन लिखना इसलिये जरूरी है कि इन लिखने वालों में से कोई एक जब लिखने की निरर्थकता से उब कर लिख्नने से आगे बढेगा तो परिवर्तन को कोई रोक नहीं सकेगा.

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  12. जान की परवाह किये बिना सुरक्षाबल जहां नक्सलियों से पूरे दम खम के साथ जूझ रहे हैं वहीं दुर्भागय का विषय है की राज्य की सरकार सुरक्षाबलों से संबंधित गोपनीय जानकारियां भी गोपनीय नहीं रख पा रही हैं । राज्य सरकार को बार बार एक ही तरह की विफलता से बचने का रास्ता प्राथमिकता से निकालना चाहिये साथ ही पुलिस महकमें में घुसे हुए उन गद्दारों को भी बेनकाब करना चाहिये जिनकी बदनियती से गोपनीय जानकारियां नक्सलवादियों तक पहुंच जाती है जिसका खामियाजा सुरक्षा बलों को भुगताना पड़ता है

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  13. Well doneeeee Bhai well doneeeee yeh woh awaz hai jo har ek chattisgarhi ke dil mai uthati hai mager woh kisse kahe kisko kahe yeh nahin samjh pata shahid hue jawano ko naman karta hi rehta hai ki fir khaber aa jati hai ki fir kuch aur ho gaye jawan shahid woh waar pey waar kiye jaa rahen hain aur yeh humari sarkar sirf ek hi chiz ke rahi hai aab mara na aab maar ke dekhao aur woh pehle se jyada bada waar karte hain mai bhi yehi chahta hun ki ke seena ke hawale kar diya jaye baster ko mager fir pure world ke samne INDIA sharminda hoga ki hum apne hi logo ko maar rahe hain kyun ki fir unki tarafdari karne humare hi bich ke log khade ho jayenge unhe bekasoor kahenge fir senna ki galti nikalenge ki aaisa nahin waisa kiya unhone lekin iska haal kya hai woh kendra mai baithi sarkar bhi janti hai aur yahan state ki sarkar bhi mager dono shayad pehle aap pehle aap ke intezaar mai baithen hue hain aur kahin inki bhi nawab sahab jaise train na chute jaye.

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