18 June 2010

आई. डी. नहीं तो काम नहीं
अच्छा खासा times  now के लिए काम कर रहा था , लेकिन नक्सलियों के शहरी नेटवर्क को ये बात बहुत दिन से खटक रही थी. अब उनकी आत्मा को ठंडक मिली होगी. times now के हेड ऑफिस मुंबई गया और साफ़ साफ़ कह आया- तीन साढ़े तीन साल हो गये. अब आई.डी. के बिना काम नहीं करूँगा. मेरे भोपाल के बॉस राहुल सिंह को इसी मौके की तलाश थी. बात बात पर आई मीन .. आई मीन ....कहकर अंग्रेज़ी बोलने वाले राहुल ने चौथी बार मेरी जगह किसी और को स्ट्रिंगर बनाने की कवायद तेज़ कर दी. अब मैं विरोध नहीं करने वाला . जो चाहे अब times  now  के लिए काम करे . अभी तक मेरे कारण कई लोगों ने यहाँ काम करने से इनकार किया . लेकिन अब मैं खुद राहुल सिंह को बाहर से सपोर्ट कर रहा हूँ की वो अब यहाँ किसी और को appoint कर ले. जब तक मैं रहा हर बड़ी खबर बराबरी से ब्रेक हुई. अब मेरा जी उचट गया. मुझे अच्छे माहौल में काम करने की आदत है. अंग्रेज़ी नहीं जानता ऐसा नहीं है. राहुल से ज्यादा अच्छी अंग्रेज़ी बोल लेता हूँ, पर राहुल को नहीं पता की मैं आखिर हूँ कौन? मैं अपने लिए अपनी ज़मीन खुद तैयार करने वाला विशुद्ध श्रमजीवी हूँ. बाप के नाम की ना खाया और ना अब सोच सकता. उनका ऋण ना चुका सकता ना ऐसा करने की सोचता . अपने बाप के नाम पर पत्रकारिता में टिके रहने वालों में से नहीं हूँ मैं.
दरअसल हो ये रहा था की मैं यहाँ से कोई खबर मुंबई बताता तो राहुल के पेट में ऐंठन हो जाती थी. कई बार भोपाल में कोई खबर  बताई तो एक घंटे बाद मुझे गाली सुननी पडी.  मुंबई वाले कहते रहे की इतनी बड़ी खबर सीधे बता देनी चाहिए थी. राहुल को seriousaly news sense नहीं है. उसका सारा ध्यान दौरे और बिल में रहता है. और मुझे देखिये- तीन साल से अपना बिल नहीं भेजा और लाखों रुपये laps हो गये.  मार्च एंडिंग में बिल नहीं भेजा.  अब भुगत रहा हूँ. इस साल  का अब तक का बिल तो भेजूंगा और भुगतान ना हुआ तो देखेंगे ईश्वर की मर्जी क्या है. दिल्ली मुंबई और भोपाल में बैठकर पत्रकारिता करने वाले लोग पता नहीं अपने आपको समझते क्या हैं. अरे हम छोटे राज्य में हैं तो क्या हुआ. हमारी भी तो भावनाएं हैं. राहुल को अब खुला challenge है. मैं तो पत्रकारिता करूँगा और मुंबई में ही रहकर करूँगा. तब क्या करेगा राहुल?. दरअसल आम आदमी छोटी छोटी सी होशियारी में अपने अन्दर ही अन्दर निपटता रहता है. मैंने तो बुरे दिन काट कर अपना ट्रैक ही बदल दिया. लोग बोलते रहें की दिखता नहीं , जब दिखता था तो क्या भला कर दिए मेरा.  एक तो छोटा सा राज्य ऊपर से मालिकों का दबाव. हम सिर्फ गाली खाने के लिए पैदा थोड़ी हुए हैं.
पूरे छत्तीसगढ़ की हर बड़ी खबर की फीड के लिए तत्पर रहता था मैं, पर रायपुर के गिरोहबाज पत्रकारों को यह सब अच्छा नहीं लग रहा था. उन्हें शायद पता नहीं या बोडीबाजी के चक्कर में वो भूल गये की साधू और शेर अकेले ही चलते हैं.
 अभी तक पूरे छत्तीसगढ़ में times now ने संवाददाता नहीं बनाये हैं. मैं  अपने दम पर सब जगह से फीड पहुंचवा दिया करता था. अब देखते हैं की नक्सलियों से जुड़े विवादास्पद पत्रकार राहुल  को कितनी मदद करते हैं. वैसे बड़ा चैनल है रीजनल के भी बहुत सारे पत्रकार इच्छुक हो सकते हैं. मुझे बुरा इस बात का लगा की आज तक जो राहुल और मुंबई का स्टाफ मेरी तारीफ़ के पुल बांधते नहीं थकता था, वही लोग राहुल के कहने पर टेढ़े कैसे हो गये  है?.  राहुल अब बोलने लगा है की मैं ठीक आदमी नहीं हूँ. उसके कहने - बकने से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता. मैं इसीलिये पत्रकारिता में नहीं हूँ की आज  पत्रकारिता छोडूंगा तो कल पुलिस मुझे उठा  ले जायेगी या लोग मुझे नमस्ते करना बंद कर देंगे या मंथली लिफ़ाफ़े मिलने बंद हो जायेंगे. . रायपुर के लोग और मेरे ब्लोगर मित्र जानते हैं की मैं क्या हूँ और कैसा हूँ. मुझे जो अच्छा  लगता है मैं करता हूँ. छोटा सा पेट है, भर जाता है. रायपुर के पत्रकार साथियों को मेरी एक बात नहीं पचती की ये साला फिल्म भी बना लेता है .  छत्तीसगढ़ी एल्बम भी कर लेता है. फिल्मों में डबिंग भी कर आता है. गाना भी गा आता है. ( नक्सलियों पर केन्द्रित और सुनील शेट्टी अभिनीत रेड एलर्ट में कुनाल गांजावाला ने जो शीर्षक गीत हिंदी में गाया है, उसका छत्तीसगढ़ी  वर्जन मैं गा आया हूँ. ये फिल्म जल्द ही छत्तीसगढ़ में  रिलीज होने वाली है और अंतर्राष्ट्रीय स्टार पर नाम कमा चुकी है ) खैर.. अब लगने लगा है की मुंबई मुझे फिर बुला रहा है. मुझे शायद आदेश हो गया है की अब बड़ा सोचो और बड़ा करो. ये लोग पत्रकारिता से नाम और पैसा काम चुके , अब इनका पेट भर गया है इसीलिये राजनीति कर रहे हैं..... करो .. यही करो. पर सच कहूँ तो times now  छोड़ने का अब रत्ती भर दर्द नहीं है. जिस गली जाना नहीं उसका पता क्या पूछना. अपना बिल क्लीयर कर लूँ, फिर मैं चला मुंबई.
जीवन जो थोड़ा बहुत बचा है उसे भी सार्थक  कामों में लगाना है. मुझे पता है जो लीक से हटकर काम करना, भूखे प्यासे रहना जान जाता है और सबके हित की सोचता है उसे कलयुग में दुःख तो झेलना ही पड़ेगा, राहुल के माध्यम से ईश्वर ने मुझे एक नयी राह दिखाई है. रायपुर  में अगर रहना भी पड़ा तो एक बार फिर ये बात साबित कर दूंगा की मेरे अन्दर का पत्रकार कितना तगड़ा है. मुबई गया तो वहां भी मेरी पूरानी टीम बाहें फैलाकर मेरा स्वागत करने को तैयार बैठी है. बुरा वक्त सबका आता है, अच्छा  वक्त आने में भी समय नहीं लगता. बाय बाय times now ..........

2 comments:

  1. taang adaane wale to har jagah milte hi hain is line me,
    shubhkamnayein bhai sahab

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  2. तेरी सोच बडी है तू भी बडा है मेरे भाई ,सही मायने में तू एक अच्छा कलाकार है यार । विश्वास है जहां भी रहेगा अच्छा रहेगा । तेरा ईमान ही तेरे भगवान के रूप सदा तेरा साथ देगा । अंतःकरण से मेरी शुभकामनाएं तेरे साथ हैं । खूब उन्नति कर मेरे दोस्त ।

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