16 June 2010

आज़ादी  से पहले लगेगा हिन्दुस्तान में ताला......
....बड़ा अजीब लग रहा होगा ना ये हेडिंग पढ़कर..?  लेकिन मैं साफ़ कर दूँ की ताला हमारे भारत में नहीं., हिंदुस्तान न्यूज़ में लग रहा है.  हिंदुस्तान न्यूज़ के मालिक यानि राजेश शर्मा जिसे कुछ लोगों ने धृतराष्ट्र बनाकर रखा था, उनकी आँख खुल गयी है.  उन्होंने सार्वजनिक रूप से हिन्दुस्तान की एक बैठक में इस बात की घोषणा कर दी है. आठ  जुलाई २०१०  से यानि आज़ादी की ६३वी सालगिरह के दिन से   हिंदुस्तान  न्यूज़ में ताला लगा दिया जायेगा. सौभाग्य इस बात का भी है की मुझे भी उनकी आँख खोलने का श्रेय है. एक दिन मेरे एक अभिन्न मित्र नितिन चौबे का मोबाइल पर कॉल आया, उसने कहा की राजेश शर्मा तुझसे  मिलना चाहते हैं. मैंने पूछा क्यों? जवाब नहीं आया लेकिन उसने कहा की मेरी बात तुझे माननी ही होगी. इसके पहले भी कई लोगों ने मुझे सलाह दी थी की एक बार राजेश शर्मा से मिल लो. मैं क्यों मिलूं किसी से ? मैं अपनी अकड़ पर कायम था.
हम चार लोग सवा दो घंटे उनके साथ बैठे. दो घंटे तो मैं ही बोलता रहा. बोलता क्या रहा, पूछता रहा हिन्दुस्तान  न्यूज़ के आवक जावक के बारे में. सारे जवाब शून्य रहे. उस दिन मैंने क्लीयर भी कर किया की क्या मैं आपको या आप मुझे जानते हैं? जवाब आया नहीं. मैंने उनसे चैनल से जुड़े कई ऐसे सवाल पूछे जिसके जवाब ना तो उनके पास थे ना ही उनके चंगु मंगुओं के पास. उस दिन मैं भी समझ गया और राजेश शर्मा भी समझ गये की पत्रकारों के एक गिरोह ने उन्हें घेर रखा है,  ये गिरोह ज़मीन दलाली भी करता है, बस भी चलाता है, और हाँ गिरोह के कुछ सदस्य मुख्यमंत्री या अन्य मंत्रियों के यहाँ का काम कमीशन पर करते हैं. पत्रकारिता से इनका अब कोई लेना - देना नहीं है. राजेश शर्मा को को देर से ही सही लेकिन ये माजरा  समझते देर ना लगी. वो जिस स्टाफ के लिए अपनी बीमारियाँ बढ़ा रहे थे,  उन लोगों को इस सबसे कोई मतलब ही नहीं था. वो सब मिलकर अपना अपना उल्लू सीधा कर रहे थे.
...जैसे ही ही ये खबर लीक हुई की मैं नितिन और राजेश शर्मा के कुछ घरेलु सदस्य आपस में बात कर रहे हैं. नेशनल लुक के संपादक यानि स्वम्भू चाणक्य प्रशांत शर्मा और प्रबंधक नवीन जैन तत्काल वहां पहुँच गये पर इसके पहले सारी बात मैंने प्याज के छिलकों की तरह खोल कर रख दी थी. राजेश शर्मा ने उन्हें कल्टी कर मुझे लगातार बोलने का मौका दिया. दुसरे दिन जब ये खबर जब चंगु मंगू को लगी तो उन्हें अपनी कमजोरी छुपाने का मौका मिल गया. चंगु -मंगू इस बात पर राजेशा शर्मा से नाराज़ हो गये की जब वे उनकी मदद  कर रहे थे तो फिर अह्फाज़ को क्यों बुलाया सेठ ने. बस इसी बहाने ने राजेश शर्मा के कान खड़े कर दिए. दरअसल चंगु- मंगुओं ने धृतराष्ट्र बना दिया था राजेश शर्मा को. खुद संजय बनकर आधी अधूरी और अपनी कहानी बताने आ जाते और चले जाते.  दरअसल चैनल के नाम पर राजेश शर्मा से ख़ाली पैसा ले रहे थे चंगु मंगू. काम कुछ नहीं अब जो काम आता नहीं उसे कैसे भी कैसे बेचारे.. खैर.. हिंदुस्तान न्यूज़ के लोग अब अपनी रोजी रोटी के किये नए सिरे से प्रयास कर रहे हैं.

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