09 May 2010

कवि-पुलिस विश्वरंजन को गुस्सा क्यों आता है?

छत्तीसगढ़ के लोग उनकी तुलना माननीय अटल बिहारी बाजपेयी और डोक्टर रमन सिंह से करने लगे हैं। इलेक्ट्रोनिक मीडिया के लोग तो उनकी तारीफ करते नहीं थकते। तीनों में समानता क्या है आपको बताऊँ? तीनों की बाईट काटने में एडिटर के पसीने छूट जाते हैं। आज बीजापुर में हुई वारदात के बाद बहुत गुस्से में दिखे कवि और पुलिस महानिदेशक विश्वरंजन। पत्रकारों को भी खूब लताड़ा। एक बात तो उन्होंने पते की कही की जिसको जिस चीज़ का नोलेज नहीं है, वो उसी मामले का विशेषग्य बना बैठा है। अब वो ये बात गृह मंत्री ननकी राम कँवर के लिए बोले या पत्रकारों के लिए बोले , पता नहीं। पर आज उनका गुस्सा देखने लायक था। कई ऐसे शब्दों का इस्तेमाल भी उन्होंने किया जिन शब्दों का इस्तेमाल वे अमूमन नहीं करते। आज हुए landmine blast को उन्होंने दो-ढाई माह पुराना बिछाया गया बारूद बताया। कई बार उन्होंने रोड ओपन का ज़िक्र भी किया। जब पत्रकार बाहर निकले तो एक पत्रकार ने दूसरे से पूछा की यार ये रोड ओपन में क्या होता है? दुसरे बताया की जब सड़क को खोलते हैं ना तभी ऐसे blast होते हैं। नक्सलियों के शहरी नेटवर्क से भी काफी खिन्न दिखे विश्वरंजन। शहरी नेटवर्क के बारे में बोलते बोलते कई बार उन्होंने दांत भींचा और कहा की सोर्स सिर्फ आप लोगों के नहीं मेरे भी हैं। इशारों इशारों में में कई बात समेटते गये। चलो गुस्सा आया तो सही , अब गुस्सा उतरे तो क्या बात है। देखते हैं उनका गुस्सा कितने दिन और किस किस पर उतरता है.

2 comments: