09 March 2010

क्यों लौट आयी मेरी लव बर्ड...?




कल सुबह से मन् हलाकान था। दिनचर्या गड़बड़ा गयी थी। सुबह उठकर चारों लव बर्ड को पिंजरे सहित बालकनी में ले गया। उनका कुण्डी थोड़ा सा खोला और उनके लिए दाना लेने अन्दर आ गया। अन्दर आकर कंप्यूटर से चिपक गया, अक्सर ऐसा होता था। दो घंटे बाद अचानक याद आया कि लव बर्ड्स के दाने का बर्तन साफ़ कर दाना देना है उन्हें। पिंजरे के पास गया तो मेरी हालत ख़राब हो गयी। बुरे समय में मेरा साथ देने वाली तीन लव बर्ड उड़ चुकी थीं । एक बची थी और पिंजरे का दरवाज़ा तेज़ हवा के कारण बार बार खुल रहा था, मैंने पूरा खोल दिया। मुझे पता है कि लव बर्ड अकेले नहीं रहते। मैंने उससे भी कहा कि जाओ तुम भी उड़ जाओ। मन् भारी था फिर भी मीडिया हाउस कि स्टोरी एडिट करने बैठ गया। सोचा, मन् को बहलाने का इससे अच्छा उपाय कोई नहीं है। शाम होने को आयी। अपनी दिनचर्या के अनुसार पिंजरा अन्दर करने बालकनी में गया तो लव बर्ड पिंजरे के अन्दर ही थी। मैंने उसे भी उड़ा देने की ठान ली। अन्दर हाथ डालकर उसे पकड़ना चाहा तो उसने मेरे हाथ पर अपनी चोंच गड़ानी शुरू कर दी। मैंने तौलिये की मदद से उसे पकड़ा और पिंजरे से निकाल कर आज़ाद कर दिया उसे.......
आज सुबह बिट्टू का कॉल आया कि जल्दी से नीचे आओ। अपनी एक लव बर्ड नीचे घूम रही है, वो उड़ नहीं पा रही है। मैं फिर छोटा तौलिया लेकर दौड़ा। उसे पकड़ने लगा तो उड़ने लग गयी। फिर एक जगह पर चुपचाप बैठ गयी। मैं उसे डांटने लगा कि तुम तीन तो एक साथ भागे थे ना, बाकी कहाँ हैं। मैंने हाथ दिया तो हथेलियों में आकर बैठ गयी। घर लाकर उसे अपने बेडरूम में खुला छोड़ दिया। मेरे पिंजरे में अब उसका कब्ज़ा हो गया। मैंने दाने की कटोरी में दाना डाला और पानी की कटोरी भी भर दी। उसके पास जैसे ही दोनों कटोरियाँ रखीं वो टूट पड़ी खाने पर..... गटागट पानी भी पीने लगी। मेरा मन् पसीज गया। मैं समझ गया की बाहर क्या हालत है पक्षियों की। गर्मी बढ़ रही है, हम एयर कंडीशन या कूलर में खुद तो महफूज़ हो जाते हैं लेकिन पशु पक्षी बेचारे भटकते रहते हैं। इनके संरक्षण के नाम पर सरकारी सांड अपना पेट भर रहे हैं। कई बार कुछ पशु पक्षी प्रेमियों ने एस एम् एस भी किया कि अपने घर के बाहर पशु - पक्षियों के लिए दाना पानी रखो, कुछ ने पहल की तो कुछ ने इसे इग्नोर कर दिया। खैर ....मैं आज बहुत खुश हूँ कि मेरा प्यारा एक लव बर्ड तो मेरे पास वापस आ गया। हो सकता है, बाकी लोग भी भूख प्यास से तंग आकर वापस घर आ जाएँ। मैं चाउंर वाला बाबा तो नहीं हूँ लेकिन बुरे वक्त में जब इन लोगों का दाना ख़त्म हो जाता था तो बहुत रोता था। ऊपर वाले से कहता था कि मैं तो भूखे प्यासे रह लूँगा तू इनकी परीक्षा क्यों ले रहा है। और दो - तीन घंटों में कहीं ना कहीं से दाना आ ही जाता था। अब जब दिन ठीक हो रहे हैं तो क्यों भागे होंगे पक्षी? अब चले गये थे तो वापस क्यों आ रहे हैं। ऊपर वाले की महिमा मैं अच्छे से समझ गया हूँ । वो जो ना करे कम है। परीक्षा ली मेरी और मैं भी सप्लीमेंट्री भर भर कर लौटता रहा। मैंने तय भी कर लिया है जिसे मेरे साथ ठीक से रहना है रहे, नहीं तो जहाँ जाना हो जाए। मुझे समय ने साफ़- साफ़ कह दिया है, बेटा अकेले आया है , अकेले जी और अकेले चले आना।

2 comments:

  1. पालतू पशु पक्षी फिर से प्रक्रति में सफल जीवन नहीं जी पाते -अच्चा हुआ एक लौट आयी !
    मगर यह लव बर्ड है या बुजेरिगर ?

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  2. परिंदों के बहाने ज़िन्दगी का आबुदाना ...अंत में आप बिलकुल दार्शनिक हो गए हैं!!

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