25 November 2010

जिंदा हूँ मैं......

समय जो ना कराये कम है. मुझे आदेश मिला सबसे दूर रहने का और मैंने स्वीकार कर लिया. इस बीच कई तरह के चुतियापों और ज़िंदगी की सीख से रूबरू होने का मौका मिला मुझे. इस बीच कहाँ रहा और क्या क्या किया. इसकी झलक इन छायाचित्रों में देखें. इस छत्तीसगढ़ी फिल्म का नाम है " इही जिनगी हे.." बाकी बातें अब लगातार ब्लॉग पर होती ही रहेंगी, शंकरी नहीं रही पर मैं जिंदा हूँ और कोशिश करूँगा की आप लोगों का प्यार और स्नेह पहले की तरह मिलेगा. इसी आशा और विश्वास के साथ आपको अपनी यादो के कुछ छायाचित्रों के साथ छोड़े जा रहा हूँ.. पर याद  रखना ........

2 comments:

  1. ... bahut badhiyaa ... ab filmi parde par bhee ... badhaai !!!

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  2. एहफ़ाज़ भाई,बढीया लेख्। आप से निवेदन है भाषा पर थोडा सा संयंम बरतें। धन्यवाद । रायपुर आएं तो मुलाक़ात होगी ।

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