24 April 2010

नाम है हिन्दुस्तान न्यूज, पत्रकारों का रेजा कुली जैसा यूज़ ?

anchor byte का ७५ रूपया, sound byte with ambience का १०० रूपया। complete story का १२५ रूपया और exclusive story का 1५० रूपया, इस दर पर काम कर रहे हैं पत्रकार। रेजा -कुली का रेट भी इससे कहीं ज्यादा है, पर कौन पहल करे। हिंदुस्तान न्यूज़ के मालिक ने प्रेस क्लब के कथित अध्यक्ष अनिल पुसदकर को यहाँ हेड बनाकर जो रखा है, मजे की बात ये है कि ये वही पत्रकार हैं जो अनिल पुसदकर के कहने पर ग्रांड न्यूज़ छोड़कर हिन्दुस्तान आये। उन्ही से इस दर पर काम लिया जा रहा है। अब अपनी खुन्नस में वहां से तोड़ दिया तो यहाँ ध्यान रखना चाहिए था। या सबके लिए यही नियम लागू करवा देते। मानसिक रूप से नक्सलवाद से प्रभावित पत्रकार अब सोच रहे हैं बदला लेने की। जिस पत्रकार ने एक पत्रकार से एक चैनल का ब्यूरो दिलाने का झांसा देकर लाखों वसूले थे, वही पत्रकार यहाँ कॉपी चेक कर रहा है। चंगु -मंगू भी बढ़िया पालकर रखे हैं हिन्दुस्तान न्यूज़ के मालिक ने । एक हैं हाजी मोहसिन अली सुहैल। दंड कारन्य से संवाददाता बन कर पत्रकारिता की शुरुआत की और आज मुख्यमंत्री के ख़ास हैं। सरकारी खर्चे पर कई बार विदेश में शेरो शायरी का जलवा बिखेर कर आ चुके हैं। बेहद संजीदा लिखते हैं। कसीदाकारी तो कोई उनसे सीखे। पर आग नहीं है, बहुत अच्छे इंसान हैं। अब उन्हें इंसानियत की कसम है कि अगर वो हिन्दुस्तान में व्यवस्था सुधार नहीं पाए तो क्या मतलब मालिक के कान तक जाने का। अपनी रोजी -रोटी की व्यवस्था तो कुत्ता भी कर लेता है, ऊंची नस्ल का हो तो उसके मालिक भी उसे और भी ज्यादा सुविधाएं देते हैं। मगर मैं बात कर रहा हूँ इंसानों की , उन इंसानों की जिनके साथ आप काम कर रहे हैं, आगे वो लोग आपके साथ काम करें या ना करें , लेकिन आपकी उनसे मुलाकात तो रोज़ होगी, क्यों शोषण हो रहा है पत्रकारों का ? कौन उठाएगा आवाज़ ? हिन्दुस्तान न्यूज़ की कहानी भी अजीब है, जब शुरू हुआ तो विज्ञापन दिए गये की छत्तीसगढ़ की ख़बरें अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ७४ देशों में देखी जा सकेंगी। चरदी कला में १५ - १५ मिनट का स्लोट लिया गया था, अब हालत ये है कि ४७ मोहल्ले के लोग भी इसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं। इसके बावजूद स्लोगन रखा है -अपना देश अपनी बात। अब लगता है कि कलेक्टर से पूछना ही पड़ेगा कि १९८६ के आबकारी नियम का पालन कौन कौन कर रहा है। केबल पर तो न्यूज़ के दसियों नियम हैं । व्यक्यिगत रूप से मुझे लगता है की हिंदुस्तान न्यूज़ के मालिक राजेश शर्मा को कुछ लोग गोला बनाकर निपटा रहे हैं। ऐसा नहीं होता तो विज्ञापन से पट गया होता चैनल। नॅशनल लुक के एक विज्ञापन से काम नहीं चलने वाला। अनिल पुसदकर का समझ में आता है, उनके पास दो -दो चैनल का ज़िम्मा है। एम् चैनल में भी उन्हें समय देना पड़ता है। बाकी काम अलग। न्यूज़ बुलेटिन में गलतियाँ तो होती ही नहीं, पर अपने अपनों को आगे बढाने के लिए चंगु -मंगू अपने मालिक के आसपास किसी भी ऐसे टेक्नीकल बन्दे को फटकने नहीं देते जो मालिक को इन लोगों की हैसियत और औकात बता दे। जब मैंने प्रखर टी वी ज्वाइन किया तो एक शर्त रखी थी, इतनी टी आर पी और इतना विज्ञापन आने के बाद मैं अपनी तनख्वाह तय करूँगा। ऐसा हुआ भी लेकिन कुत्तों को घी पचता कहाँ है, मेरे छोड़ने के बाद चैनल बैठता गया और दो दिन पहले अंततः प्रखर टी वी बंद हो गया। मैं अपनी बड़ाई नहीं कर रहा पर पत्रकारिता की आड़ में ज़मीन का धधा करने वालों को थोड़ा तो सोचना चाहिए कि दूसरों की तनख्वाह कम करने की बजाय खुद कम पैसा लेते, पत्रकारिता के भरोसे नई नई शादी करने वालों पर क्या गुजरेगी, उनकी पत्नियों के सपनों के बारे में तो सोचते..... जिनकी सोच रहे हैं वो तो अभी शादी के लायक भी नहीं है। खैर हम दुआ कर सकते हैं और करते हैं की अल्लाह हिंदुस्तान के बन्दों की सुने और उन्हें नेक राह दिखाए। आमीन .....

6 comments:

  1. हर अच्छी या बुडी उद्देश्य के शुरुआत में दिक्कते तो आती हैं / लेकिन एकजुटता में संतुलन ईमानदारी से बैठाकर अगर निडरता से आगे बढ़ने की चाह हो तो, सफलता जरूर मिलती है / जरा सोचिये जब अंग्रेज भारत आये होंगे तो सोचा होगा की ,वे अपनी तिकरम से भारत को लूट लेंगे ,ठीक उसी तरह भारत का स्वतंत्रता संग्राम के शुरू में किसी ने नहीं सोचा होगा की, उनको सच्चाई और बलिदान के बदले आजादी मिलेगी / उसी तरह आज ब्लोगिंग के जरिये देश और समाज को बदलने की धारणा कल्पना की उरान की तरह लग रहा है ,लेकिन हम और आप अगर सच्चे मन से बदलाव लाने का मन बना लें ,तो इन भ्रष्टाचारियों और लुटेरों से देश को बचाने में,ब्लॉग और ब्लोगर एक ब्रह्मास्त्र का काम कर सकता है / ऐसा सोचने वाले ब्लोगर एक दुसरे ब्लोगर से हफ्ते में इस विषय पर कम से कम एक पोस्ट अपने ब्लॉग पर और फोन पर भी विचारों का आदान प्रदान जरूर करें हफ्ते में एक बार / ऐसा करने से ही इस विचार को आगे बढाया जा सकता है और रास्ट्रीय स्तर पर एक ब्लोगर फोरम बनाया जा सकता है / मुझसे बात या विचार करने के लिए अभी फोन करें-09810752301

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  2. बड़ा ही क्रांतिकारी लेख है भाई।
    अच्छा लगा।

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  3. aise hi bhandafod me lage rahiye bhai sahab.

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  4. नाम है हिन्दुस्तान न्यूज, पत्रकारों का रेजा कुली जैसा यूज़
    isake liye badhai ke patr ho aage padhta huu

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