रायपुर. सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों को धता बताने वाले अखबार मालिक अब खुद एक ऐसे नियम में फंस गए हैं जिससे अब उन्हें कोई बचा ही नहीं सकता. नियम यह है की अखबारों के लिए आबंटित ज़मीन का दूसरा उपयोग किया ही नहीं जा सकता. २००७ में यह नियम खुद कलेक्टर ने बनाया था. इस निर्देश में एक बात और साफ़ तौर पर कही गयी है की शर्तों का अनुपालन नहीं होने पर ज़िलाधीश भी अचानक निरीक्षण कर कार्यवाही कर सकते हैं.शासन के प्रतिनिधि, अधिकृत व्यक्ति तथा अधिकृत प्रतिनिधि शर्तों के पालन के लिए अधिकृत किये गए हैं. नियम- कायदों की खुले आम धज्जियाँ उड़ाने वाले अखबार मालिकों पर आखिर कब और कौन करेगा अधिकृत कार्यवाही? एक अखबार को हाल ही में तगड़ा जुर्माना पटाना पड़ा है. इस चर्चित अखबार द्वारा जुर्माना तो पटा दिया गया है, लेकिन आजू बाजू के अखबार मालिक इस कार्रवाई से अनभिज्ञ और अनजान हैं.
सूत्रों की मानें तो सरकारी कागज़ात में एकदम साफ़ तौर पर कहा गया है की "भूमि का उपयोग अन्य उपयोग के लिए नहीं होगा " . अगर इस नियम का उल्लंघन हुआ तो उस परिसर को अनाधिकृत कब्जेदार मानकर वह भूमि शासन में निहित कर ली जायेगी. इस भूमि का पूर्ण बाज़ार मूल्य पेनाल्टी के साथ भी लिया जायेगा. सूत्र बताते हैं की एक अखबार को अधिग्रहित करने की योजना बन चुकी है. इस पर अमलीजामा कभी भी पहनाया जा सकता है. सरकार और जिला प्रशासन की इस संयुक्त कार्यवाही से फर्जीवाड़ा करने वाले अख़बार मालिकों की नींद हराम हो गयी है. एक अखबार को तगड़ा जुर्माना और दूसरे को राजसात करने की तैय्यारी काबिल- ए- तारीफ़ है. इस तरह की कार्यवाही से चौथे स्तम्भ के हित चिंतकों का मनोबल बढ़ेगा.
चौथे स्तम्भ की वकालत करने वाले पत्रकारों का समूह अब इस मुहिम से जुड़ने लगा है. मुख्यमंत्री के आसपास झूमे रहने वाले पत्रकारों की संख्या भी अब कम होने लगी है. इस मुहिम ने सबको चेता दिया है की असली कौन है और नकली कौन है. अब इस बात का भेद भी खुलने लगा है की पत्रकारों के संगठन को कमज़ोर कर उसे नेस्तनाबूत करने वालों का गिरोह भी अखबार मालिकों की चौकड़ी में शामिल था. पत्रकारों को संघ से दूर रखकर और संगठन के चुनाव न करवाना भी इसी महा घोटाले का एक अभिन्न अंग था. बहरहाल समय हमेशा एक सा नहीं रहता . देर से ही सही लेकिन अगर हमारी इस मुहिम का असर हुआ तो कई सफेदपोश लोग बेनकाब होंगे जो आज पानी के मोल मिली ज़मीन का करोड़ों में दोहन कर रहे हैं. एक अखबार समूह तो "समर्पण" के मूड में आ गया है.
अहफाज जी
ReplyDeleteएक अखबार को तगडा जुर्माना भई नाम लिखिए खुले आम न आप इधर वफा निभा पा रहे न उधर खबर बीच का बन कर रह गई खबरे अच्छी है पर बेबाक नही आपके खबरों का कायम हु पर बीच से निकल कर स्पष्ट और बेबाक पर आ जाइए बडे विकल होने पर यह लिख रहा हुं आप ब्लाग तो हमारे पढने के लिए ही तो लिख रहे है बात इशारों से आगे बढ जाए तो क्या बात है .............
waiting for doccuments. kal padh keejiyega aur dekh bhi.
ReplyDeletewaiting for doccuments. kal padh leejiyega aur dekh bhi.
ReplyDeleteReply