एक बात जो मुझे अन्दर तक चुभ गयी वो ये इन हडताली कर्मचारियों के सामने अनिल पुसदकर ने मेरे बारे में की बातें झूठ कहीं। अनिल पुसदकर ने उनसे कहा की अह्फाज़ खुद यहाँ आना चाहता था, इसीलिये ये हड़ताल करवाई। अब आप खुद सोचिये की times now जैसा अंतर्राष्ट्रीय चैनल छोड़कर ३४ मोहल्ले में दिखने वाले चैनल में में मेरी क्या रूचि हो सकती है। हड़ताल इसीलिये हुई क्योंकि खुद प्रेस क्लब के कथित अध्यक्ष ने दिहाड़ी व्यवस्था वहां लागू करवाई थी, खुद शोषण पर उतर आये थे। मैंने तो सिर्फ ब्लॉग के माध्यम से पत्रकारों की पीड़ा को सामने रखा था। अब तो आप मुझे रोज़ एक स्पेशल स्टोरी के साथ रीजनल चैनल टाइम टुडे पर भी देख सकते हैं। टाइम टुडे ने मुझे वरिष्ठता के आधार पर senior -corrospondent बनाया है, शहीदों के शव को चीर घर वापस भिजवाने और शहीदों के शव घर नहीं पहुंचे और सी एम् हाउस में जश्न वाली खबर कवर करके अपने आपको साबित किया है। आज भी रायपुर के सभापति को जेल में मोबाइल पर बात करने वाली खबर भी मैंने ही कवर की और बाँट दिया। अपनी कुंठा अनिल पुसदकर ने मुझ पर ठोंक दी। मुंह से पत्रकारिता नहीं होती। आप तो श्रम विभाग , विधुत विभाग और आयकर विभाग को निपटाने वाले थे, निपटा लेते, यहाँ तो बाप का राज है, पूरा छत्तीसगढ़ राज्य प्रेस क्लब जैसा थोड़े ही है, तीनों विभाग अपनी अड़ी में तो आ गये तो आप लोग तो भाग जाओगे , भुगतेगा राजेश शर्मा।
मुझे पता है की काम कहाँ करना है और कैसे करना है. लौट कर जाने वालों को अनिल पुसदकर ने एक और बड़ा झूठ बोलकर बरगलाने की कोशिश की है. अनिल पुसदकर ने उनसे कहा की मीडिया हॉउस बंद हो गया है. भास्कर छोड़ने के बाद नवीन शर्मा ने ही मीडिया हॉउस की संरचना तैयार की थी. और मैंने ( अनिल पुसदकर ने ) नवीन को हरिभूमि ज्वाइन करवा दिया है. नवीन मैं और मधु काम से काम दस घंटे साथ में रहे हैं. ब्रम्हावीर ने नवीन को हरिभूमि के लिए राजी किया और उसीने नवीन के लिए रास्ते बनाया. अनिल पुसदकर का कहीं कोई रोल नहीं था. आप लोग चाहें तो नवीन से ०९४२५२१३०९८ पर बात करके सत्यता का पता लगा सकते हैं. रही बात मीडिया हॉउस बंद होने की तो आप टाइम टुडे से भी इसे जोड़कर देख सकते हैं हम पूरी ताकत से टाइम टुडे की टी आर पी बढ़ने में जुटे हुए हैं. हमारी वेब साईट का मुआयना भी कर सकते हैं. एक बात का खुलासा मैं और कर दूँ. दो -दो चैनल का मुखिया बनना अनिल पुसदकर की कुंठा का प्रतीक है, उन्हें अच्छे से पता है की जब ३ साल पहले प्रेस क्लब के चुनाव हो रहे थे तब वो किसी अखबार में नहीं थे. प्रशांत शर्मा ने झटपट अम्बिकवानी के संपादक को सेट किया और एक appointment लिखवा लिया अनिल पुसदकर के नाम. आज तक उनकी कोई खबर आप लोगों ने नहीं पढ़ी होगी कई लोग तो नाम भी नहीं जानते होंगे इस अखबार का. और बस फर्जीवाडा जो शुरू हुआ तो आज तक चला आ रहा है. पर झूठ मुझे पसंद नहीं है. अपना अपना काम करो. मस्त रहो..
waiting
ReplyDeleteएक अपील ;)
हिंदी सेवा(राजनीति) करते रहें????????
;)